जब समय हमारे हिसाब से नहीं चलता तो ऐसे में संघर्षमय जीवन पर शायरी बहुत काम आती है। यह बुरे वक़्त में हमेशा हिम्मत बढ़ाती है।
मुश्किलों पर शायरी, उन सभी अचानक होने वाली अनचाही घटनाओं से उबरने और आगे बढ़ने का हौसला देती है।
इसलिए मैंने इस संकलन में ऐसी कठिनाइयों पर शायरी को शामिल किया है, जिन्हें आप कभी भी पढ़ सकते हैं और Struggle Quotations In Hindi की तरह Share कर सकते हैं।
संघर्षमय जीवन पर शायरी | Quotes To Express The Problems Of HARD TIME
आइए संघर्षमय जीवन पर कविताएं पढ़ना शुरू करते हैं –
1. हक़दार नहीं वो ताजों का, संघर्ष नहीं जिन राजों का। |
2.
हारने के बाद ख़ुद खड़ा हुआ, |
3.
हार से यारी महंगी पड़ी मुझको, |
4.
सोच के दायरों से झाकों तो इक दफा, |
5.
साहस कभी किया चिड़ियाँ ने डूबने का, |
6.
संघर्ष का मूल चुकता करो कभी, |
7.
संघर्ष का सफर लम्बा है, |
8.
वक़्त कभी तोड़कर अपना ग़ुरूर, |
9.
संघर्ष से हर्ष का सफर, |
10.
परछाई से अक्स बदलना, |
11.
यूं सफ़र के दरमियाँ क्या रुकना, |
12.
संघर्ष की मोटी लाठी में, |
13.
जीतो ग़र तुम में हिम्मत हो, |
14.
बीती को पीछे छोड़ चलो, |
15.
ख़ुद को पर्वत सा खोने को, |
16. न रस्मों की न वादों की, जीत संघर्षो के पक्के इरादों की। |
17.
संघर्ष की काली रात के बाद, |
18.
रोके न रुक सका होंसला मेरा, |
19.
न पूछो मेरे दर्द को कचोट कर, |
20.
नज़रिये की बात है, |
21.
ख़र्च हुए सपने पलकों के सभी, |
22.
चाहूँ आंचल को लहराना, |
23.
हर बूँद सच कहेगी, मेरी पहचान की, |
24.
साहिलों पे रुककर देखी है क्या ज़मीं, |
25.
खामोशियों को कब तलक़, ख़ामोश मैं रखूँ, |
26.
ख़्वाब नीदों से तकियों पे जा पहुंचे, |
27.
ज़िंदगी को ज़िंद से जीता जाये, |
28.
नज़रों से ढूंढता है, आसमां फैला हुआ, |
29.
किरचें मेरी आँखों में सिमटी तलक़ न थी, |
30. ख़्वाब के रास्तों में, नींदे बिछी हुई, सोया नहीं हूँ कब से, टूटने की ख़ातिर। |
31.
टूट के रुक जाऊँगा ये भूल है तेरी, |
32.
सौ बंदिशों के बाद न रुकते है कदम, |
33.
किरणों से क्या छिपना सूरज की रौशनी में, |
34.
जब-जब इंसान टूट कर जुड़ा है, |
35.
क़ामयाबी, |
36.
क़ामयाबी, ख़ुद-ब-ख़ुद संघर्ष बयां करती है। |
37.
संघर्ष की सांस पर ही, |
38.
हर-जीत नज़रिया है, |
39.
क़दम रुके थे इंतज़ार में, |
40.
हर चौराहे पर रौशनी मिलेगी, |
41.
कुचलों के तुममें हो दम जितना, हम भी सहकर दिखलायेंगे, |
42.
कलमों की स्याही गहरी है, गहरा है इसका कालापन, |
43.
ख़ुद को पहचान सको, क्या वो नज़रिया तुममें है, |
44.
सीड़ी दर सीड़ी चढ़ जाये, उम्मीद न थकने वाली, |
45.
साहिलों पे रुकते समुन्दर के जज़्बात हैं, |
46.
हो न सकेगा मेरा राहों का ये दामन, |
47.
खामोशियों को कब तलक, खामोश मै रखूँ; |
48.
साये की आब में, पहचान की हदें। |
49.
ढूढ़ते हैं किस्तें, मेरे वजूद की, |
50.
देखा न कभी चाँद के, टुकड़े तो टूटते, |
51. मिट्टी की मूरत, मामूली सा इंसा, पूजते है जिसको, संघर्ष का ख़ुदा। |
52.
मौजों के हिसाब में टूटे नियम कई, |
53.
मैं लिख नहीं पाता, ख़ुद के ही ख़्यालात, |
54.
चलते हैं क़दम पहरों के रास्तों पर, |
55.
थकता नहीं हूँ मैं, चाहें तो आज़मा लो, |
56.
क़ामयाबी के तख़्त पे, लौटे वो परिंदे, |
57.
भूलोगे कैसे शाखों को, जिसने छाया ही बांटी है, |
58.
राजों-ताजों की प्यासी है, |
59.
तारों की चुनरी में गूंथा, तब चाँद उतर के आया है, |
60.
झुकना सौ दफा गलती पर तुम, |
61.
लफ़्ज़ों का क्या बयां देना, |
62.
मुक़ाम वक़्त का मीलों तलक़ फैला, |
63.
हर मंज़िल के दरवाज़े पे, |
64.
न झुकेगा सर हौंसलों का, |
65.
ख़्वाहिशों की तड़प, ऐतबार ख़ुद पे, |
66.
न सिमटेगा मेरे दरमियाँ, सैलाब जो उठा है, |
67.
हर रूप में चमकता है संघर्ष का चेहरा, |
68.
सहमी हसीं होठों की खिलखिलाएगी, |
69.
खिल के बिखर न जाए, हौंसलों के परिंदे, |
70.
पहलू में शमां के, रौशनी बंधी हुई, |
71.
संघर्षों की गांठों में, खुलेगी असल की शक्लें, |
72.
शर्तों के टूटे मतलों पर, नुक्ता तहज़ीब का बांधे हैं, |
73.
ठोकर का सीना चीर गए, पत्थर हिस्से में आये है, |
74.
गहरी चोट को सहने का, सहस न सब में होता है, |
75.
उम्मीदों की चमक से पावन, नहीं आँखों के सपने, |
76.
जीत लेंगे दुनियाँ की, हर तस्वीर को मेहनत से, |
77.
दुनियां की खोखली दलीलों से, |
78.
सजदों में क्या मांगू, हिम्मत के सौदे पर, |
79.
सोहबत में न रहा पोशाक जश्न का, |
80.
जो चोट लगी मुझको दुनियांवी बंदिशों से, पहचानते है मुझको उसी निशान से। |
81.
फिर से वही कीमतें मुक़ाम की हासिल, |
82.
सोते नहीं है उखड़े ख़्वाब रात भर, |
83.
सोच के कमज़ोर करना न कभी ख़ुद को, |
84.
लोग क्या कहेंगे, सुन तो लो ज़रा, |
85.
संघर्ष, |
86.
आसान नहीं मंज़िल पाना, |
87.
पछताने से बेहतर रुक जाना, |
88.
इक-इक तिनका आगे बढ़ना, |
89.
संघर्ष, घमंड को जब तक चूर नहीं करता, |
90.
अपनी गलतियों से सीखना, |
91.
संघर्ष की क़ीमत, सफलता से ज़्यादा नहीं होती, |
92.
संघर्ष के कदमो में शामिल, आशीर्वाद सफलता का, |
93.
खोकर ख़ुद को मंज़िल पा जाना, |
94.
संघर्ष के बिना जीवन मृत है। |
95.
बिन मेहनत ग़र मिल जाये, |
96.
कठिन समय आज़माता है, हौंसला तेरा बढ़ता, |
97.
समय की चक्की में पिसकर, सोने से कुंदन हो जाओ, |
98.
संघर्ष के रस्तों पे चोटें लगे हज़ार, |
99.
गिरना लाज़मी है, |
उम्मीद करती हूँ कि संघर्षमय जीवन पर शायरी से आपको अपना मुश्किल वक़्त ज़रूर याद आया होगा। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।