हर इंसान के लिए उसकी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत और यादगार पड़ाव बचपन होता है। ऐसे मासूम और अनमोल बचपन पर 2 लाइन की शायरी बहुत प्यारा एहसास है। 

क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि बच्चो को हँसता-खेलता देख अपना समय याद आ जाता है। अगर हाँ, तो बचपन की यादों पर कविताएं आपको ज़रूर पसंद आएँगी।

मैंने इस संकलन में Beautiful Childhood Captions के साथ-साथ बचपन की एटीट्यूड शायरी को भी शामिल किया है, जिन्हें आप कभी भी पढ़ सकते हैं और Share कर सकते हैं। 

बचपन पर 2 लाइन की शायरी | Thoughts to refresh golden MEMORIES

आइए बचपन पर सुविचार पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

बचपन तो चलता रहता है,

कभी बाहर था अब भीतर है।

 

2.

जन्मदिन पर साथी के,

एक Toffee है मुस्कान बचपन की।

 

3.

लकड़ी का घोड़ा बचपन का,

दूर तलक ले जाता था।

 

4.

मोर पंख लेने के ख़ातिर,

मोरों का पीछा करना

बचपन के उस मोर पंख को,

सबसे प्यारी चीज़ समझना।

 

5.

कट्टी भी और बट्टी भी,

बचपन की वो सच्ची-सी।

 

6.

न तेरा-न मेरा,

बचपन में बस प्यार ही सबसे प्यारा।

 

7.

काग़ज़ की वो नाव बचपन की,

सपनों से भर आगे बढ़ती थी।

 

8.

सपनों के बादलों पर उड़ता है,

बचपन।

 

9.

इमली खट्टी कभी न लगती,

बेर के काँटे कुछ न कहते

बचपन के ये प्यारे लम्हे।

 

10.

पतंग के संग-संग उड़ते जाते,

बचपन में हम आसमान को छू कर आते।

 

11.

बचपन के रंगों का अपना संसार,

Ice Cream का परवत

Chocolate की नदिया,

खेल का मैदान बन जाए ये दुनिया।

 

12.

भूख न प्यास,

न Home Work का काम

दिनभर खेलें

इसी से बचपन को प्यार।

 

13.

Teacher के Cartoon बनाना,

छिपकर Tiffin से खाना खाना

बचपन होता कितना मस्ताना।

 

14.

Chalk के टुकड़े रहते तैयार,

निशाने जाते आरम-पार

बचपन का अद्भुत संसार।

 

15.

गली में Cricket चलती खूब,

चाहे घर की खिड़की टूटे

बचपन भागे मस्ती में डूब।

 

16.

बचपन में लोरी के संग,

नींद का गहरा नाता।

 

17.

अम्मा गाती, नींद बुलाती

बचपन को गोदी में

सपनों से भर जाती।

 

18.

मैं दौड़ूँ, तू मुझे पकड़

इसमें ही बचपन का सुख।

 

19.

छुपम-छुपाई,

पकड़म-पकड़ाई

बचपन की ये मीठी लड़ाई।

 

20.

बचपन में चोरी का अमरुद तोड़कर खाना,

मज़ा नहीं था खरीद के खाना।

 

21.

चलो बचपन को फिर से बुलाएँ,

अपने भीतर बैठे बच्चे को जगाएँ।

 

22.

बचपन में कोई ग़म नहीं था,

बस अम्मा न पाएँ यही दर्द बड़ा था।

 

23.

बारिश की रिमझिम देख,

धरती के संग मुस्काता है बचपन।

 

24.

कितना आसाँ था बचपन में,

चाँद को मुट्ठी में बंद करना।

 

25.

बचपन में चंदा से कहना,

आजा मामा नीचे आजा

एक कहानी चरखे वाली,

अम्मा की मेरे कानों में कह जा।

 

26.

यूँ ही पेड़ पर चढ़ जाना,

चिड़िया के घोंसले को हाथ लगाना

बचपन का ये खेल पुराना।

 

27.

पापा की पद्दी,

अम्मा की गोदी

बचपन की प्यार में डूबी सवारी।

 

28.

तितली के संग दौड़ लगाना,

छूना फिर मुस्काना

बचपन का खिल जाना।

 

29.

पोशम-पा में चोर पकड़ना,

घड़ी चुराई सज़ा सुनाना

लड़कपन में ये सीख सिखाना।

 

30.

स्कूल से छुट्टी का सोचें रोज़ बहाना,

पेट दर्द बचपन का मर्ज़ पुराना।

 

31.

माँ से Mark Sheet छिपाना और फिर पकड़े जाना,

बचपना होता बड़ा सुहाना।

 

32.

यारों को Teacher की डाँट से बचाना और ख़ुद फँस जाना,

लड़कपन का ऐसा याराना।

 

33.

पल में आँसू तो पल में मुस्कान,

बचपन का हर पल है छोटा।

 

34.

पल में लड़ाई तो पल में दोस्ती,

कितनी प्यारी बचपन की सोच थी।

 

35.

दुश्मनी, दोस्ती का मतलब न पता है,

बस प्यार है ये बचपन को पता है।

 

36.

क्या खोया क्या पाया है,

बड़ों की गिनती

बचपन की तो बस हर पल की मस्ती।

 

37.

किसी त्यौहार की इंतज़ार नहीं,

बचपन ही त्यौहार है।

 

38.

हर मौसम मनाता है बचपन,

जाड़े की रजाई

बारिश में भीगना और गर्मी की छुट्टियाँ,

मनाता है बचपन।

 

39.

दोस्तों की पुकार पर,

दौड़ा चला आता है बचपन।

 

40.

पल में रुठता और पल में,

मान जाता है बचपन।

 

41.

बिन दस्तक दिए,

चुपके से चला जाता है बचपन।

 

42.

मौसम की तरह क्यूँ लौट कर,

आता नहीं ये बचपन।

 

43.

आँखों के पानी में यादें बन,

तैरता रहता है बचपन।

 

44.

दाग़ जाता नहीं,

गहरी चोट जब खाता है

मासूम बचपन।

 

45.

कच्ची मिट्टी का घड़ा है,

बचपन।

 

46.

धूल में खेलेगा तो,

मिट्टी को समझेगा बचपन।

 

47.

तिनकों को समेटेगा बचपन तो,

घरोंदा ये बनाएगा बढ़कर।

 

48.

पंछियों को उड़ते देखेगा तो,

पंख फैलाएगा बचपन।

 

49.

चलो हर बच्चे को हँसाएँ,

बचपन को खुशियों से नहलाएँ।

 

50.

जो ठिठुरा, सिकुड़ा

कोने में बैठा है बचपन

उसके चेहरे पे भी मुस्कान खिलाएँ जाकर।

 

51.

बचपन जो अधूरा है,

उसको भी पूरा बनाएँ जाकर।

 

52.

क्यों है फूल बेचता,

मुरझाया बचपन?

 

53.

आँखें हैं बड़ी,

पसलियाँ हैं खुली

ऐसा क्यों है ये बचपन?

 

54.

धूल में लिपटा,

राह में सोता है

उसे उठाओ,

ख़ुदा की छाया है ये बचपन।

 

55.

वो छूटा है पीछे,

किसी ऊँगली को पकड़ने की

राह देखता है ये बचपन।

 

56.

कचरे के ढेर पर नंगे पाँव भटकते,

बचपन को उपवन की ओर ले चलें।

 

57.

वो बचपन जो खिलना चाहता है,

उसे गुलशन में लगाया जाए।

 

58.

बचपन के नर्म एहसास कहीं,

बाहर के धुएँ में दम न घोंट दें।

 

59.

बचपन खुले आसमान में,

साँस लेता है।

 

60.

एक ख़ुश्बू खींचती है बचपन को,

जो माँ के आँचल से आती है।

 

61.

बचपन के सवाल उलझे नहीं होते,

बड़ों के जवाब उलझे होते हैं।

 

62.

आसमान के लाखों तारों में,

एक अपना तारा ढूँढता है बचपन।

 

63.

बचपन का ख़्वाब है,

बड़ा होना और बड़ों का ख़्वाब है

बचपन।

 

64.

चलो बचपन दोहराएँ,

नंगे पाँव दौड़ लगाएँ।

 

65.

बचपना उम्र में,

न खो जाए।

 

66.

हर फूल में खुश्बू,

तलाशता है बचपन।

 

67.

दोस्त की गलबैंहियाँ डाल कर,

मुस्काता है बचपन।

 

68.

छोटी चीज़ों में बड़ी खुशी,

पाता है बचपन।

 

69.

बचपन फूल है,

मुरझाया तो बिखर जाता है।

 

70.

प्यार आँखों से समझता है बचपन,

बातों से कब बहलता है बचपन।

 

71.

कोमल दिल है बचपन,

ठेस गहरी खा जाता है बचपन।

 

72.

अहम् से दूर है बचपन,

परमात्मा का रुप है बचपन।

 

73.

मौसम की तरह क्यूँ लौट कर,

आता नहीं बचपन।

 

74.

अपनी और अपनों की,

मुस्कान है बचपन।

 

75.

लुका-छिपी का खेल है,

बचपन।

 

76.

हर दिल के कोने में,

रहता है बचपन।

 

77.

परियों की कहानियों में,

जीता है बचपन।

 

78.

हर पल सुहाना है,

अगर भीतर ज़िंदा है बचपन।

 

79.

क्यूँ फ़ुटपाथ पर रोता है,

बचपन ?

 

80.

धूल में जो लिपटा है बचपन,

बढ़कर उठा लो उसको

मैला नहीं वो,

मिट्टी के प्यार ने सजाया उसको।

 

81.

पेड़ों की छाँव में,

कपड़े के झूले में झूलता

चिलचिलाती धूप में,

पत्थर तोड़ती माँ का

दुलार है वो बचपन।

 

82.

लक्ष्मीबाई की पीठ से बंधा,

तलवारों की छाँव में पला

माँ का दुलार था वो बचपन।

 

83.

कचरे के ढेर पर काग़ज़ बीनता,

क्यूँ है बचपन ?

 

84.

एक महलों में पला,

एक फ़ुटपाथ पर पड़ा

ये इतने फ़ासलों में पलता,

क्यूँ है बचपन ?

 

85.

एक रोटी को तरसता,

दूजा खाने से मुँह फेरता

ये कैसा विरोधाभास है बचपन ?

 

86.

चलो हर बचपन को स्कूल पहुँचाएँ,

उसे उसका अधिकार दिलवाएँ।

 

87.

कोमल फूल न कोई कुचले,

बचपन कोई डाल से न टूटे।

 

88.

उदासियों में खिलता,

चमन है बचपन।

 

89.

देखो किसी बचपन की,

आँख से न टपके मोती।

 

90.

बचपन देख ढलती उम्र में,

न जाने कितने सपने जगाता है ये बचपन।

 

91.

उँगली पकड़ कर हमें नई राह पर,

ले जाता है बचपन।

 

92.

कभी गीतों में,

कभी तस्वीरों में

दोहराता है बचपन।

 

93.

समंदर की सीपियों में,

मोती तलाशता है बचपन।

 

94.

गीली रेत पर सपनों के महल,

बनाता है बचपन।

 

95.

हर रोज़ नए सपने,

नई मंज़िलें तय करता है बचपन।

 

96.

न सोना न चाँदी,

न हीरे जवाहरात है बचपन

कुदरत की नियामत की,

नायाब सौगात है बचपन।

 

97.

बचपन की जुगत मिलाते तो,

अपने को कभी अकेला न पाते।

 

98.

जन्मदिन पर दोस्तों में टॉफ़ी बाँटना,

खास दोस्त का साथ चलना

कितना खास होता है,

बचपन का वो पल मनाना।

 

99.

साईकिल की मेरी सवारी को,

कोई समझे छोटी बात नहीं

इस पर सवार हो निकलूँ जब,

यारों में शान जमाता हूँ

ये बचपन है, बचपन यारों

जी लो इसको

ये आता बारंबार नहीं।

उम्मीद करती हूँ कि बचपन की यादों पर शायरी पढ़कर आपकी पुरानी मीठी यादें ताज़ा हुई होंगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि बचपन पर 2 लाइन की शायरी में कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Mala Sharma