महबूब की तारीफ़ हो या हाल-ए-दिल बयां करना हो, 2 लाइन की romantic शायरी हमेशा से प्यार करने वालों की पहली पसंद रही है।   

Gf के लिए रोमांटिक शायरी लिखकर और कभी Bf के लिए romantic शायरी पढ़कर, दिल के जज़्बात ज़ाहिर करने का यह बहुत पुराना तरीका है। 

ऐसे ही Beautiful Love Thoughts से यह संकलन बना है, जिसे आप अपने करीबियों के साथ Share करके उन्हें Special फील करा सकते हैं।

2 लाइन की romantic शायरी | For The Love Of Your LIFE

2 Line की लव शायरी पढ़ना शुरू कीजिए –

1.

मोहब्बत एक शब्द नहीं जज़्बात है,

दिल में बसे ख़यालों की आवाज़ है।

 

2.

जज़्बा, जज़्बात और अहसास

दुख में बिन कहे मोहब्बत दे, प्यार भरा साथ।

 

3.

मेरे जज़्बात हैं, मोहब्बत के ऐसे

मचलती लहरों के ऊपर, दिखता शांत समुंदर जैसे।

 

4.

बोलती आँखें ख़ामोश ज़ुबा,

मोहब्बत की है यही पहचान।

 

5.

ये दिल ही तो है, अच्छे-बुरे को जो पहचानता है

देता मोहब्बत की दस्तक, हर आहट को जानता है।

 

6.

मन के जज़्बातों को, यूँही स्याही में भिगो लेती हूँ

आँखो से बहे अश्कों को, प्रेम माला में पिरो लेती हूँ।

 

7.

बिन चकोर खोया खोया चाँद,

मानों ग़ायब हुआ अब लुत्फ़-ए-हयात है

मोहब्बत के बिना आसमां लगता बियाबान,

हुए बेजान से जज़्बात है।

(लुत्फ़-ए-हयात = ज़िंदगी का सफ़र)

 

8.

अपने दिल पर लिखो, एक पैग़ाम मोहब्बत का

हसीन ख़ूबसूरत जज़्बातों का, ख़्वाहिशों के अहसासों का

चाहतों का हसरतों का, ख़ुशी के पलों को जीने का

इस पल को महसूस करने का।

 

9.

कुछ नशीली-सी चाल थी, उम्रदराज़ उस जोड़े की

आँखों ही आँखों में था क़रार, क्या था ये समय लगा समझने में

अरे! ये मोहब्बत ही तो थी यार।

 

10.

जज़्बातों में बह कर, लिए गए फ़ैसले अक्सर तड़पाते हैं

क्योंकि दिल-दिमाग़ नहीं होते एक साथ, ख़ूब रुलाते हैं।

 

11.

तमाम गिले-शिकवे दुनियां के दूर करने की,

दिल से कोशिशें की हमने

पर अब अपने उम्मीद-ए-आशियाँ की दुनियां,

अहसासों से बसा ली हमने।

 

12.

चाय की प्याली, आँखों से होती बात

गरमा-गरम पकोड़े भी हो, संग जब साथ

महकती ख़ुश्बू अदरक व इलायची की

उफ़्फ़! न चाहते हुए भी

ज़ाहिर हो ही गए प्यार के अनकहें जज़्बात।

 

13.

अनकहें शब्द पढ़ने के लिए आँखें नहीं,

दिल की धड़कन चाहिए

सिर्फ़ तेरी मौजूदगी ही काफ़ी नहीं,

तेरा उसमें अहसास भी चाहिए।

 

14.

दिल में की दफ़्न बातें दिल को बना क़लम,

दिल से जब सब हाल-ए-दिल लिख दिया।

 

15.

कुछ कश्मकश-सी छिड़ी हुई है, दिल के अंतर्मन में आज

मोहब्बत रूठी है, कैसे मनाऊँ कैसे लूँ, संग उसका साथ।

 

16.

क्या होगा क्या कर पाउँगा, दिल-ओ-दिमाग़ में है तकरार

मोहब्बत है उनसे लगता है डर, न कहूँ तो रहता हूँ बेक़रार।

 

17.

समीम-ए-क़ल्ब से माँग कर तो देखो, क्या सच में ऐसा होता है

प्यार से निकली दुआ को वो रब, बेशक सच में क़बूल करता है।

(समीम-ए-क़ल्ब = सच्चे दिल से)

 

18.

इतिहास में सबसे ज़्यादा कहा, लिखा, पढ़ा गया शब्द

यक़ीनन मोहब्बत ही होगा।

 

19.

मन के पतझड़ का एक ही जवाब

मोहब्बत से करो मन लबरेज़, होगा बसंत लाजवाब।

 

20.

जिसे हम प्यार करते है, विश्वास ज़्यादा कर जाते हैं

बदले में प्यार की जगह, धोखा अक्सर खा जाते हैं।

 

21.

मोहब्बत की आरज़ू, बहुत तकलीफ़देह होती है

पैरों को दूर तलक चलने की, आदत होनी चाहिए।

 

22.

अहसास समझाने से भी न समझे जो,

वो हरगिज़ अपना हो नहीं सकता

सुना है दिल के तार तो हो बेतार,

दिलों तक पहुँच जाया करते है।

 

23.

ये जो मोहब्बत है न, बिन बात सिखाती मुस्कुराना

रोम-रोम का महक-सा जाना, रूह से रूह का ख़्वाबों में मिलवाना

खुदा की इनायत को समझ पाना, ज़माने से लड़ने का हौसला जगाना

ख़्वाहिशों को तस्व्वुर में सजाना, अल्फ़ाज़ नहीं चाहिए

बस आँखो की ज़ुबा से ही, हाल-ए-दिल बताना।

 

24.

याद में आँसू ख़ुद जज़्ब हो जब,

ख़ुशी के नीर में फिर तब्दील हो जाए

समझ लीजिए आप मोहब्बत की गिरफ़्त में है,

नींद अब ख़फ़ा हो कहीं अलहदा न हो जाए।

 

25.

यादों की खिड़की से आज, एक हवा का लहराता-सा झोंका आया 

इज़हार-ए-मोहब्बत का वो पल, ज़ेहन में धीरे से यूँ आकर मुस्काया

यूँ फूलों के महकते गुलदस्ते को ले, अपने मज़बूत इरादों से 

फिर नफ़ासत से पूरे अदब कायदे से, था हमारे हाथों में थमाया।

 

26.

लड़कपन-भोले बालपन में जो भी बस, अच्छा लगने लगता है

वर्षों बाद याद करने पर उसे ही याद करना, अच्छा लगता है।

 

27.

प्यार से जो बोल दे मीठे बोल, मोहब्बत बन दिल में तड़पता है

नाज़-ओ-अंदाज़ भी उठाता रहे तो, दिल भी पाने को मचलता है।

 

28.

मोहब्बत एक अहसास,

एक मासूमियत भरा अफ़साना-सा होता है

समय के बीत जाने पर भी,

वो अपनी पकड़ दिल में बनाए रखता है।

 

29.

पहली मोहब्बत दिल में बंद,

गुलाब की ख़ुशबू-सा महकता रहता है

ज़िक्र भर छिड़ जाने पर चेहरा,

न जाने क्यूँ सुर्ख़ लाल फिर होता है।

 

30.

ख़ुशनसीब है वो-जिनकी मोहब्बत ही,

ज़िंदग़ी में महबूब बन आते हैं

वायदे किए थे जो अलहड़पन में,

बेशक दिल से बख़ूबी निभाए जाते हैं।

 

31.

चाँद तारें तोड़ के लाने वाले,

अक्सर सफ़र में पीछे छूट जाते हैं

आँखों की नमी को भाँप ले जो,

वही मोहब्बत असल में रहगुज़र कहलाते हैं।

(रहगुज़र= हमसफ़र)

 

32.

एक नज़्म तुम्हारे नाम लिखने को जी चाहता है,

मोहब्बत से भरे पैग़ाम देने को जी चाहता है।

 

33.

जब से इश्क़-ए-हक़ीक़ी उस रब से हो गई,

ख़ुश हूँ अब और ख़ुद से भी मोहब्बत हो गई।

(इश्क़-ए-हक़ीक़ी = ईश्वरीय प्रेम)

 

34.

काश! एक बार मोहब्बत की रुमानी बरसात हो,

ठंडी ब्यार संग हो बूँदों की रिमझिम बौछार हो।

 

35.

हसरतें लिए चाहत का हसीन, ख़ूबसूरत साथ हो जाए।

रंग-बिरंगी छतरियों के नीचे, लिए हाथों में हाथ आ जाए।

 

36.

हँसते चेहरे हैं हर तरफ़, बस खिलखिलाहट है।

मोहब्बत जीत गई फिर से, नफ़रत की हुई हार है।

 

37.

ऐतबार दिल ने महसूस किया सुकून से,

मानों दिल को स्वर्णिम-जाम पिला दिया।

(स्वर्णिम-जाम = स्वर्णिम प्याला)

 

38.

ले तूलिका और कैनवास से सुखद रंग भरो न,

मोहब्बत से लबरेज़ हसीन ख़ूबसूरत तस्वीर गढ़ो न।

 

39.

सबसे बड़ा कृतिकार जिसने ये दुनियां नायाब बनाई,

हर प्राणी के अंदर हर दिल में नायाब मोहब्बत है सजाई।

 

40.

क्या पेड़, क्या पौधे, क्या जल-सब में तलब है 

हर कोई बस सोचता, कैसे प्यार की लगी अलख है।

 

41.

प्रकृति के निर्माता ओ प्रिय चित्रकार, ओ सृजनहार

ज़माना ख़ामोश-सा है, अब प्यार के भर दो रंग हज़ार।

 

42.

बेरंग-सी, बेसुध-सी रुकी हुई है, जहान की तेज़ रफ़्तार

बाँसुरी की तान छेड़ो न, प्यारा-सा फिर से कर दो संसार।

 

43.

मुजरिम बना यूँ खड़ा हूँ सलाखों के पीछे,

आख़िर गुनाह ऐसा क्या किया है

गर मोहब्बत जुर्म है ज़माने की नज़र में,

तो बेशक ये जुर्म तो किया है।

 

44.

तर्क-ए-मोहब्बत में तंजिया से, ऐवान-ए-त’अल्लुक़ पाते हैं ज़हमत

हल्की-सी ताईद पिघला देती है जमी बर्फ़, बस हो जब खुदा की रहमत।

(तंजिया = व्यंगपूर्ण, ऐवान-ए-त’अल्लुक़ = संबंधों के महल, ताईद = तारीफ़)

 

45.

यूँ उसने अपनी ज़हीन मोहब्बत का रंग,

अफ्शानी से सरोबार कर दिया

अब क्या माँगे खुदा से दुआ क़बूल कर,

एक आबिद-ए-पाक जो हमें दे दिया।

(रंगअफ्शानी = रंग का छिड़काव, आबिद-ए-पाक = पवित्र उपासक)

 

46.

इश्क़ की ये ख़ूबसूरत दास्ताँ,

स्वर्णिम पन्नों में हो दर्ज मुम्ताज हो गई

शाहजहाँ के प्यार की बेमिसाल मोहब्बत,

आबिद-ए-पाक बन मिसाल हो गई।

 

47.

शाम-ए-अलम में यूँ न ख़ुद को बेबस बेज़ार कीजिए,

ख़ुद से ही कर लें मोहब्बत न किसी का इंतज़ार कीजिये।

(शाम-ए-अलम = दुख भरी शाम)

 

48.

राधा कृष्ण के प्रेम की, अनोखी पवित्र विरह भरी व्यथा है

राधा बिन कृष्ण अधूरे हर काल में, प्रेम की आलोकिक गाथा है।

 

49.

रूठने-मनाने का सिलसिला है, बहुत ही प्यारा 

मोहब्बत का प्रतीक गुलाब, लगता तोहफ़े में न्यारा।

 

50.

इतनी भी क्या मोहब्बत हो सकती है किसी से? 

एक पल में दुनियां लगे वीरानी, कोई अपना-सा लगने लगे तभी से।

 

51.

ये नेमत ये अनमोल तोहफ़ा जीवन का, ये ही ज़िंदगानी है

गर मोहब्बत सच्ची, दिल ने असंभव को संभव करने की ठानी है।

 

52.

पतझड़ यानी बीता पल, आए जब बसंती हवा का झोंका

जीवन जीने का नाम, दिल ने प्यार से जब दिल किसी को सौंपा।

 

53.

कभी बेचैन हो उठता दिल, ख़यालात में दिखती होती ज़िंदगी ख़्वार

ज़िंदगी तू मुक़म्मल तो नहीं, पर फिर भी मुझे तुझ से है बेइंतहा प्यार।

(ज़िंदगी-ख़्वार=अस्त-व्यस्त ज़िंदगी)

 

54.

जब ख़ुद से प्यार किया,

जाना ज़िंदगी लम्बी या छोटी नहीं

बस कितनी हसीन होती है और दिल की धड़कनों ने भी इज़हार किया,

जियो ज़िंदगी बस हर पल ख़ुश होकर

छोड़ो क्या हुआ था कल या कल क्या होगा, 

बढ़ कर हर पल का यूँ इस्तक़बाल किया।

 (इस्तक़बाल = स्वागत)

 

55.

प्यार वो कविता है, जो कसरते-ग़म में भी पुर-फ़ुसूँ लम्हे

गोशए-ख़्याल, अपने ज़ेहन में बसाए रखता है।

(कसरते-ग़म= दुख की अधिकता, पुरफूँसूँ लम्हे= जादुई क्षण, गोस ए-ख़याल= विचारों में)

 

56.

दिल के पन्नों पर ख़्वाहिशों के गलियारों से, 

गुज़रते हुए जज़्बे व जज़्बात की  रेशमी अल्फ़ाज़ों से,

लिखी कहानी मोहब्बत ही होती है।

 

57.

मोहब्बत बंध दिल से, फिर प्यार की धड़कन बन जाती है

जज़्बात को ख़ूब हर्षित कर, दीवानगी की हद दर्शाती है।

 

58.

बन मन का समर्पण,

जीवन की सुंदर मंज़िल को पाने की राह दिखाता है

और चाहिए भी क्या,

गर एक प्यारा सा बंधन हमें प्यार में बँधना सिखाता है।

 

59.

तेरी ख़ुशी थी अज़ीज़ हमें, दिल से तेरी हक़ीक़त को अपना लिया

ग़म-ए-हयात को ही बस, मोहब्बत का एक चोला पहना दिया।

(ग़म-ए-हयात = ज़िंदगी का ग़म)

 

60.

हसरतें बहुत थी कहना चाहा था, ज़ुबान ने कई मर्तबा

पर दूर थे तुम इतने बस जज़्ब कर ख़ुद में, ख़ुद को दफ़ना दिया हर दफ़ा।

 

61.

प्यार वो नहीं जो मिल न पाए तो शिकवे करे, दुनिया से हज़ार

ख़ुशी देने में है ज़्यादा, इस अहसास को ख़ुशी से रखे बरकरार।

 

62.

तर्ज़-ए-गुफ़्तार का दिखा प्यार,

मुलाक़ात-ए-नागहाँ में यूँ क़रीब बिठाया गया

तक्कलुफ न करें कह,

फिर हमें हमारे रंज-ओ-ग़म से रुबरू कराया गया।

(तर्ज़-ए-गुफ़्तार = बातचीत का ढंग, मुलाक़ात-ए-नागहाँ = अचानक भेंट)

 

63.

भावुक अंतहीन सिलसिलों को, ढूंढता फिरता ये आवारा मन

हर पल हर लम्हे में, ढूंढें अपने प्यार के खोए हर क्षण।

 

64.

दिशाहीन कोरे काग़ज़ में लफ़्ज़ उतारे, जैसे हों चाँद सितारें

कभी मचलती लहरों को थामे, दिखे प्रेम शांत समुंदर किनारे।

 

65.

अपनी धुन में रचते नित नए बोल व बनाए, अपना ही अलबेला संगीत 

कभी सावन की बूँदो जैसा हृदय गाए, बस प्यार विरहा के गीत।

 

66.

ज़माना कहता है कि तंगअक़्ल ही, यूँ बेवजह घूमा करते हैं

नहीं समझते ये प्यार के जज़्बात, संग वो सीने में दफ़्न जो रखते है।

 

67.

सुकून वहाँ मिलता है जहाँ, दिखावा न हो कोई नक़ली प्यार न हो

अपनापन झलके, आडंबर की भरमार न हो।

 

68.

क्यूँ रहते हो तुम इतने मायूस और इतने उदास ?

चुपचाप से हो, क्यूँ नहीं दिखाते अपने प्यार भरे जज़्बात ?

 

69.

क्यूँ बदहोश ख़्वाबीदा में रहते हो ग़फ़लत

हसीन फ़िज़ाओं में मोहब्बत की भरो उल्फत।

(बदहोश = उद्विग्न, ख़्वाबीदा = सोते-सोते, ग़फ़लत = बेसुधी, उल्फ़त = प्यार)

 

70.

अलहदा से यूँ रहोगे जो हर वक़्त ले हसरतें हज़ार,

होंगी पूरी जब मुस्कुरा के प्यार से करोगे बेक़रार।

 

71.

बस जैसा मिला मुक़द्दर मान, हँस के उसे अपना लिया 

अच्छा या बुरा पर मैंने दिल से, इसे ही सबसे सुंदर मान लिया है।

 

72.

अहल-ए-दिल इस जहान में भला,

आख़िर कहाँ किसको मिलता है

मिल जाए गर अजा-ए-ज़िंदगी बन,

दिल को सुकून बहुत मिलता है।

(अहल-ए-दिल = प्यार भरा दिल, अजा-ए-ज़िंदगी = जीवन की शक्ति)

 

73.

ख़ुश्बू-ए-रूह से बन एक कशिश,

दिल को छू जाए वो अहसास हो

धड़कती हर साँस में दिल की चौखट पर,

मोहब्बत का गूँजता साज़ हो।

 

74.

कई मर्तबा समझाया दिल-ए-नादाँ को, यूँ इतना याद न किया कर

मानता ही नहीं, कहता है दिलाबेज मोहब्बत का मैं ही सुंदर ख़्वाब हूँ।

(दिलाबेज़ = सुंदर)

 

75.

ये दिल ही तो है जो अहसास के जज़्बातों से भरा होता है,

सोचता बहुत है पर बस कई बार कुछ बयां नहीं होता है।

 

76.

शब्दों की ख़ूबसूरती का क्या कहना है, बस मत पूछिए

दिल-ए-ज़ार में दिल से मोहब्बत-ए-क़दम बड़ा होता है।

(दिल-ए-ज़ार = दुखी दिल)

 

77.

ख़्वाब और अहसास ज़िंदगी के दो प्यारे से एहम किरदार, 

अहसास जगते आँखों में बन मोहब्बत ख़्वाब हो बेक़रार।

 

78.

शून्यहीन गर रहेंगे हम,

न सोच विचार करेंगे कुछ भी अपनेआप

सोचो तो फिर क्या होगा,

न प्यार बुनेगें न होंगे खट्टे-मीठे अहसास।

 

79.

गीत-संगीत के सप्तक स्वरों का सबसे मीठा स्वर है, प्यार

बाग़ों-बहारॉ का सबसे सुगंधित व सुंदर फ़ूल है, प्यार का प्यार।

 

80.

जीवन बहुत मूल्यवान और बेशक़ीमती नगीना है,

हम सब के पास

अहसास दिलों में जगाए रखें और सजाए सुंदर,

प्रेम भरे ख़्वाब।

 

81.

ज़ेहन में यूँ ताज़ा है वो बूँदो की,

रिमझिम में भीगी-भीगी मुलाक़ात

गरजते बादलों के नीचे गरम चाय की प्याली,

व आँखों से होती थी बात।

 

82.

सर्द मौसम में भी ठंडी हवा जब लगे एक गुनगुनी ब्यार,

गोया चाय में चीनी-सी मिली हो मोहब्बत जैसे ले अपना मीठा प्यार।

 

83.

काश हसीन मुलाक़ातों का सिलसिला,

चलता रहे ताउम्र साथ-साथ

ज़िंदगी इतनी छोटी क्यूँ है,

पहली बार आया एक क्षण में ये ख़यालात।

 

84.

मौसम-ए-बहार में बस यही है आरज़ू

दुआ माँगते रब से ख़त्म हो अब ये जुस्तजू

सदियाँ याद करे हो ऐसा तेरा मेरा प्यार 

सुर्ख़ गुलाबों सा महकें, रहे हमेशा यूँही बेक़रार।

 

85.

आज हो बिंदास हमने किया तुमसे ये इकरार

इजहार मोहब्बत का किया तुमसे पहली बार

यूँ नज़रअन्दाज़ हो के निकलोगे गर हर बार

लौट के न आएँगे, चाहे कितना बुलाना फिर ऐ दिलदार।

 

86.

आँखों से नींद उड़ी-उड़ी सी है,

क्या यही इश्क़ की ख़ुमारी है?

 

87.

बेपनाह मोहब्बत करने से डर लगता है

इम्तिहान देने की वजह कहीं दूरी न बन जाए।

 

88.

भीड़ में तन्हाई लगे जब अपने आस-पास,

और तन्हाई में लगे जैसे है साथ साथ।

 

89.

बहुत पूछा हुआ क्या हमें, हँसे वो बोले

मोहब्बत की गिरफ़्त में है, अब आप जनाब।

 

90.

दिल तन्हा रहा, जब तक था इसमें “मैं”

“तुम” मिले बने “हम”, रिहा हुआ इसमें से अब “मैं”।

 

91.

सारी उम्र सिमट एक पल में यूँ गुलज़ार हुई,

प्यार के इज़हार से रंगत हो सुर्ख़ रुख़्सार हुई।

(रुख़्सार = चेहरा)

 

92.

बड़ी ही पथरीली पंगडंडी थी, 

हाथ तुमने जो थामा और रास्ता हसीन बन गया।

 

93.

सच्चे प्यार का एक पल ,

पूरी ज़िंदगी को बेहद ख़ूबसूरत बना सकता है।

 

94.

आईने में देखने की फ़ुर्सत कहाँ रही अब, 

तुम्हारी गहरी आँखें बोल जो देती हैं।

 

95.

सोते जागते बस दोनो के हुए कुछ ऐसे हालात,

लगता दिन रात तो रात में आते सुबह के ख़यालात।

 

96.

हर लम्हा पुर-फ़ुसूँ लम्हा, ख़ुद-ब-ख़ुद बन जाता है

दिल के अरमान हो तुम, आँखों से ब्यां हो जाता है।

(पुर-फ़ुसूँ लम्हा = जादुई क्षण)

 

97.

गुनाहगार साबित हुए प्यार में, क़ातिल भी क़रार दिए गए

कमाल है जुर्म कब किया, तक़रीर में ख़ुलासे नहीं किए गए।

(तक़रीर = बयानबाज़ी)

 

98.

जब करे मोहब्बत ख़ुद से पहले,

दुनियां भर की ख़ुशियाँ ख़ुद से सिमट आए

असली पूजा यही है,

मन मेरे मन को आ कानों में चुपके से कह जाए।

 

99.

चाह यही हसरत भी यही, है यही दिल की आरज़ू 

ज़िंदगी के हर पन्ने में बसी हो मोहब्बत, बन मेरी ख़ुशबू-ए-रूह।

(ख़ुशबू-ए-रूह = आत्मा की ख़ुशबू)

उम्मीद करती हूँ, मेरी Love Shayari ने आपके लिए अब दिल की बात कहना आसान कर दिया होगा। Comment Section में बताना न भूलें कि हमदम के साथ आपने कौन-सी शायरी Share की।

Archana Gupta