जब बात Best friend के लिए दो लाइन की शायरी की हो तो ऐसे में बहुत ज़रूरी होता है इस रिश्ते की गहराई को सही तरीके से ज़ाहिर करना। 

दोस्ती पर दो लाइन की शायरीउस इंसान के बारे में है, जो हर Condition में आपके बेहद करीब हो और आपके दर्द व ख़ुशी को महसूस कर सके।

मेरे इस संकलन में ऐसे ही खास दोस्त के लिए दो लाइन की शायरी और Best Friend Quotes शामिल हैं, जिन्हें आप उनके साथ किसी खास मौके पर Share कर सकते हैं।

Best friend के लिए दो लाइन की शायरी | Quotes To Make Your Bond Magical

आइए बेस्ट फ्रेंड के लिए स्टेटस पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

चाहतों का कोई,

मेरी मोल तो देदो

दोस्ती के वास्ते,

बहुत खर्च हुआ हूँ मैं।

 

2.

रूठ कर गया वो,

यार-ए-दिल्लगी

जिस्मों से रूह अलग होती,

पहली दफ़ा देखी।

 

3.

सोच के दायरों में,

सिमटी है कब हदें

यादों की शक्ल में,

मेरा दोस्त दिखता है।

 

4.

यारों की वफ़ाएं,

रगीन जिगर है

खूं से भी गहरा,

रिश्ता जोड़ देती है।

 

5.

शामियाँ में आज,

रौशनी बहुत है

यारों के ज़माने,

लौटे हैं फिरसे।

 

6.

भूलने का सबक,

बचपन में क्या लिया

रिश्तों को भूल बैठे हम,

यारी के सामने। 

 

7.

दोस्ती की कोई,

ग़र शक्ल जो होती

यार के मेरे,

बाशक्ल-सी होती। 

 

8.

जिगरी के रास्तों में,

शामिल नहीं दुनियाँ

दिखावे की पहुँच से,

वो कोसों दूर है।

 

9.

ग़म ज़दा से तेरा,

कोई वास्ता न हो

यार मेरे खूं की,

रवानी है तुझसे।

 

10.

दुनियावी चकाचोंध से,

रहना तू कोसों दूर

यार तेरे हुस्न पे,

ये दाग़ लगा देगी।

 

11.

हौसलों को मेरे,

परवान दिया है

यारी ने तेरी मुझको,

जीवनदान दिया है।

 

12.

सजदों में दुआ मांगू,

तो किसके वास्ते

यार गया,

ज़मीं अपने साथ ले गया। 

 

13.

तन्हाईयाँ जी जायँगी,

ज़मानों के बाद भी

लौट आये ग़र तू,

दोस्ती के वास्ते।

 

14.

शोहरतों को मेरी,

ख़ाक किया तूने

वरना यारी की ज़मी पर,

हम भी मिसाल होते।

 

15.

होश में न रखो,

दुनियावी शोहरतों

ग़ुम जाने दो मुझे,

दोस्ती के नशे में।

 

16.

आँख में अश्क़,

रुकते नहीं हैं अब

लौटा आओ तुम,

मेरी यारी के वास्ते। 

 

17.

नज़रों से जान जाते हैं,

मेरे यार हाल-ए-दिल

दस्तूर-ए-दोस्ती,

वाजिब निभाते हैं।

 

18.

जिस्मों के दाग़ मुझको,

यूं तो छोड़ जाते है

इक याद मेरे यार की,

दिल से छूटती नहीं।

 

19.

रूहों के इश्क़ से,

तोहमत नवाज़ है

यारी की शिद्दतें,

देखी है निभा के।

 

20.

आओ मैं तेरी दोस्ती का,

हक़ अता करूँ

मोहब्बत को मार,

यारी को ज़िंदा करूँ।

 

21.

झुकता नहीं मक़तब पर,

सर किस काम का

यारी का शौक़ रहता है,

सियासी रुआब में।

 

22.

दोस्तों के वास्ते है,

ज़मीन-ओ-आसमां

पहुचों के रास्ते,

न मुल्तवी करो।

 

23.

बांधना है ख़ुद को तो,

दोस्ती में बांधो

रिश्तों में बांधकर,

क्यों ख़ुद को भूल जाते हो।

 

24.

पोशाक़ सभी मेरे लिए,

बेफिज़ूल हैं

यारी में लिपटी,

कोई हो तो मैं पहनूं।

 

25.

रुक जाए साँसे तो,

कोई ग़म नहीं

बस जिगरी मेरी नज़रों से,

रूबरू रहे।

 

26.

दामन में मेरे,

लिपटी है सौहदें

हर इक को तोड़ा,

तेरी यारी के वास्ते।

 

27.

हिज्र से टूटी हुई,

ज़ंजीर अलग है

हर गांठ पे ठहरा है,

मेरा यक़ीन-ए-यार।

 

28.

रुकता नहीं है अश्क़,

अब इक भी आँख में

यार के पीछे,

ये भी छोड़ चला है।

 

29.

खंजरों के सीने में,

क्या निशान किया है

मुझसे यार छीनकर,

तूने क्या कमाल किया है।

 

30.

वास्ता ख़ुदा से,

रखना नहीं मुझे

यार मुझे ला दो,

तब सोचूंगा ज़रा।

 

31.

हाथों की लकीरों में,

शामिल नहीं ग़र दोस्त

मुझको लकीरों का,

न साथ चाहिए।

 

32.

दोस्तों की फ़िक्र में,

जगती है सारी रात

आँख मेरी कब से,

सोई ही नहीं है।

 

33.

तकियों के सिरहाने,

सोये रहे वो ख्वाब

दोस्तों के साथ जागते थे,

हर पहर।

 

34.

फ़िक्रों की चादरों पे,

यारी की सिलवटें

रखी है संजोकर,

कब से तेरे वास्ते।

 

35.

पलकों की ओट से,

मैं झांकता रहा

लौटे कोई तो यार,

मेरे ख्याल में।

 

36.

हाथों की लकीरो में,

खो गई है वो

शामिल थी गहरी,

दोस्ती के नाम-सी।

 

37.

जिस्मों के वादे,

इक-इक निभाए जा

रूह से तो बस,

यारी निभानी है।

 

38.

खर्च क्या करना,

अकेले ज़िंदगानी को

हर किश्त में वारिस,

तू ही है मेरे यार।

 

39.

फ़िक्र मेरे यार की,

जीती रही अंदर

मैं खर्च हो गया पूरा,

उसकी याद में।

 

40.

शायराना ख़्वाब में,

शामिल रिवायतें

दुनियावी दस्तूर,

अपनी यारी से दूर हैं।

 

41.

चाहतों में अपनी,

शामिल मुझे कर लो

दोस्ती का मेरी,

इतना सबब तो दो।

 

42.

वास्ते तेरे दोस्त,

मौजूदगी मेरी

शक्लों में क्या रखा है,

पहचान के सिवा।

 

43.

साहिलों पे मक़तब,

रौशन ज़रा हुए

मौजूदगी को यार तेरी,

बहुत याद किया हमने।

 

44.

यार-ए-मोहब्बत में सौदे न हो सके,

छोड़ गया फिर वो इक दोस्त बोलकर।

 

45.

दोस्ती के क़ायदे,

कब किसने मानें है

मोहब्बत से कोसों आगे,

ज़माने से है खड़ी।

 

46.

सेहरा दोस्ती का जब से,

सर पे है पहना

हर रिश्ते की रौशनी,

मुझे कम ही है लगती।

 

47.

ख़तों के लफ्ज़,

मायनों से कुछ अलग होंगे

यूं सोच दावेदारियां,

दोस्ती की पढ़ी ही नहीं।

 

48.

पहचान है मेरी तुझसे,

ए मेरे दोस्त

वो देखेंगे तुझे तो,

मुझको जान जायँगे।

 

49.

सोचता हूँ डूब जाऊं,

यारी के समंदर में

तू गया तो,

मेरा “अपन” साथ ले गया।

 

50.

पयाम मेरे जानिब,

सख्त मिजाज़ के

दोस्ती में तेरी ही,

वजूद पाते हैं।

 

51.

वास्ते में तेरे यार,

मौजूद हमशक्ल

आईनों को जैसे,

कोई आईना दिखा।

 

52.

मयक़श को इल्म क्या हुआ कि,

खुदायी जा मिली

यारी के नशे में,

मै डूबता रहा।

 

53.

परछाइयों को मुझसे,

तोड़ना नहीं

शक्ल में मेरी,

साया है दोस्त का।

 

54.

दर्द उठा दिल में,

बरसों के बाद यूं

मैं चीखता रह गया,

मेरा यार मुझको ला दो।

 

55.

इश्क़ जुनून मक़सद,

इक डोर में सजा

दोस्ती को बुनना,

तुम जायज़ धागों से।

 

56.

सौ हदों के वास्ते,

रुक जाऊंगा मुख़्तसर

पहले बताओ शर्त,

मेरी यारी के बदले क्या है।

 

57.

सजदों में न झुका सर,

किस काम का

दोस्ती के मकतबों में,

शामिल है खुदायी।

 

58.

फ़िक्र से न रूकती,

इक पल को भी यादें

दोस्त मेरे वास्ते,

बगावत से जा मिले।

 

59.

ख्वाबों में जीते हैं,

लक्त-ए-जिगर वाले

दोस्ती के रस्ते,

मयस्सर बाखूब हैं।

 

60.

चेहरों पे दिखा मुझको,

ख़्वाब सजदों का

रब ने बनाया यार को,

मेरे ही वास्ते।

 

61.

चाहतों में सिमटी,

रखी है खुदायी

ये क्यों नहीं कहते,

मेरे यार से नहीं तुम।

 

62.

वाकिफ़ है ज़माना,

रिश्ते दोस्ती के

सौदों में उसको तोलना,

मुमक़िन न होयेगा।

 

63.

दिल के दर्द की,

कोई तो तो दवा दो

अपने यार से बिछड़न,

सह पाऊंगा न मैं।

 

64.

चौखटों पे रौशनी,

न बांधना मेरी

जाने से दोस्त के,

हसरत मर मिटी मेरी।

 

65.

यारों के वास्ते,

वो टूटेगा ज़रूर

ख़ुदा को भी मेरी शिद्दतों का,

एहतराम है।

 

66.

वक़्त के सांचों में,

ढलते हुए रिश्ते

देखे हैं दोस्ती के चेहरों में,

चमकते हुए रिश्ते।

 

67.

धोखेबाज़ ज़माना,

गहरी दोस्ती को भी दग़ा दे गया

मेरे नाम पर कुछ इस तरह,

बद्दुआ दे गया।

 

68.

चाहतों के तराज़ू,

अक्सर टूट जाते है

दोस्ती सदा ही उसपे,

भारी है पड़ती।

 

69.

यारों के साथ पीने में,

मज़ा ही और है

नशें में ख़ुद को खोकर,

वो पास आते हैं।

 

70.

दुनियाँ की हसरतों को,

पूरा नहीं करते

जिगरीयार जीते हैं बस,

अपनी यारी के वास्ते।

 

71.

पहरों के मेरे दामन पे,

सिलवटें तेरी

मिटती नहीं हैं यार,

कितनी भी मैं कोशिशें करूँ।

 

72.

सजदों में झुक के क्या मिला,

यार-ए-दिल्लगी

वो छोड़ गया अकेला,

दुनियाँ तमाम में।

 

73.

फ़िक्रों के शामियाने,

पैबंद न करो

यार को लौटने दो,

मेरी ज़मी के वास्ते।

 

74.

रुक जाता मेरा यार तो और जी भी लेता,

खुश होके अपनी साँसे अब ख़ूब लुटाऊंगा मैं।

 

75.

शाम-ओ-सुबह की धूल में,

हल्की न पड़ सकी

कालिख़ जुदाई यार से,

पलकों में रह गई।

 

76.

चलते ख़ुदा के शामियाने,

देखे हैं कहीं

बिछड़न जिगरी यार से,

तुम पूछना कभी।

 

77.

अपनी बारिशों में मुझको,

भिगा गया है वो

दोस्त की शक्ल में,

काला बादल हो जैसे।

 

78.

उलझती ज़िन्दगी का,

हौंसला वो देते हैं

दोस्त हर ग़म का,

यूं जश्न मनाते हैं।

 

79.

शक्ल सूरतों में रखा है क्या वजूद,

मेरे यार-सा दिखा दो तो मै भी मान जाऊं।

 

80.

ख़त के लफ्ज़ जी उठे,

मेरी ख़िज़ाँ के बाद

मेरा दोस्त लौट आया जब,

बरसों के इंतज़ार के बाद।

 

81.

दोस्ती का जग में पैमान ऊंचा है,

ज़िन्दगी की कश्ती पर

ये सबसे निशान ऊंचा है।

 

82.

सेहराओं से वाकिफ़,

न मेरी कश्तियाँ

यारी के समुन्दर में,

मुझे डूब जाने दो।

 

83.

रिश्तों की समझ मुझको,

न कभी आ सकी

इक दोस्ती ही ऐसी है,

जिसको जानता हूँ मैं।

 

84.

बचपन की दोस्ती की,

नियत है सबसे खूब

आहट से भी मेरी,

मुझको जान लेती है।

 

85.

ख़ुद के वजूद को,

टटोला है कभी

मेरी दोस्ती पे बसबब,

ऊँगली उठाते हो।

 

86.

सह जाऊंगा सभी,

दुनियाँ की बेरुख़ी

इक बार ग़र लौटा दे,

बचपन की दोस्ती।

 

87.

परछाईं दुनियावी,

मुझपे है पढ़ चुकी

लगता है दोस्ती का,

दावेदार मिल गया।

 

88.

गुज़र जाएगी ग़ुरूर की जब रात

मेरे बाद तुम किसे अपना दोस्त कहोगे।

 

89.

ग़म चाहता था मैं बनूँ,

दोस्ती का क़ातिल

इस बदगुमां में काट दिए,

खुशनुमा सभी पल।

 

90.

मैं सोचता हूँ दोस्ती की,

मिट जाएं दूरियां

इन बेचैनियों में कब से,

सोया नहीं हूँ मैं।

 

91.

परिंदे अपने ही परवाज़ से,

पहचाने जाते हैं

गहरी दोस्ती के हौंसले,

मुश्किलों में ही आज़माये जाते हैं।

 

92.

यारों के वास्ते,

ठहरी हैं दुआएं

लगता है शिद्दतों से,

मोहलत मिली ख़ुदा को।

 

93.

यारों की यारियां,

जी जायँगी सिफ़त

तकलीफों को पैमा का,

न वजूद मिलेगा।

 

94.

खरोचों के निशान,

जिस्मों पे हैं पड़े

मेरी दोस्ती का तूने,

अच्छा सबक़ दिया।

 

95.

शहर में मिलेंगे,

मेरी ही शक्ल वाले

तेरा पता पूछूं तो,

किस्से पूछूं यार।

 

96.

ख्वाहिशों से मुसलसल,

उलझता है हर दफा

एक वास्ता न ख़ुद से,

निभा पाया जो दोस्त।

 

97.

तोड़ना दोस्ताना,

दुनियाँ में सोच कर

लौट कर वापस हर कोई,

पूरा नहीं होता।

 

98.

कह दो के झूठ है,

यार लौटेगा नहीं

चौखटों पे मैंने अपनी,

रखी है ज़िन्दगी।

 

99.

शाखों के सिरहाने,

पत्तों का टूटना

सौ दफ़ा देखा मैंने,

दोस्ती को गुनाह कहना।

उम्मीद करती हूँ कि Best friend के लिए दो लाइन की शायरी ने आपके रिश्ते को मज़बूत किया होगा। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Pragya Padmesh