दिल को छू लेने वाली emotional शायरी मन में दबे हुए अनगिनत एहसासों के बारे में है, जो ख़ुशी और ग़म दोनों में हमेशा साथ रहते हैं।

बहुत बार ऐसा होता है जब emotional शायरी स्टेटस लगाना हो तो सही शब्दों को चुनना मुश्किल हो जाता है।

इसलिए मैंने इस संकलन में Feelings Captions और emotional shayari in hindi को शामिल किया है, जिन्हें आप कभी भी Share कर सकते हैं।

दिल को छू लेने वाली emotional शायरी | Thoughts To Express The Feelings AMAZINGLY

आइए दिल को छू लेने वाले emotional स्टेटस पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

बिन गोदी, बिन आँचल जन्मा,

सांस चली पर जिया अजन्मा। 

 

2.

प्यार, दुलार, बड़प्पन की बातें,
अनाथ के हिस्से कभी न आते। 

 

3.

परछाइयों का रूप मेरा, किस्से छुपा है,
कालिख सा था वो कल,आज भी हरा है।

 

4.

न मिल सका मुझे कुछ, तौहीन के सिवा,
ताउम्र जोड़ा मैंने, हौंसला-ए-ख़ुदा। 

 

5. 

सिखातें हैं मुझको दुनियाँ के शौक़-ओ-आब,
ये क्यों नहीं कहते मेरे हिस्से नहीं ये ख़्वाब।

 

6.

रौशन हुई ज़मी, झुका है आसमां;
अब किसके वास्ते, बरसता है ये ख़ुदा।

 

7.

न मुझको जानता मालिक़ गुरूर का,
जीने की ज़ुर्रतें फिर क्यों मुझसे पूछता। 

 

8.

शाखों से पत्ते बिन मौसम, कल-कल कूचों में जैसे गिरते हैं,
माँ-बाप के साए के बिन, वैसे ही बच्चे पलते हैं।

 

9.

अहल-ए-ख़ुदा के वाजिब रह जायेंगे यहीं,
चल दूंगा ख़ुद के इंतज़ार में ख़ुद वहीँ। 

 

10.

गुनाह के चेहरों पर, चेहरा गुनाहों का,
अनाथ के सायों में, पहरा बेफ़वाओं का।

 

11.

अपनेपन का साथ,
अनाथ के हिस्से कभी न आत।

 

12.

रोशन तारों की चांदनी,
माँ-बाप के बिन न मिली।  

 

13.

उजियारे के दामन पर, रीत के मोती साँची हैं,
दुनियाँ साथ छोड़ने को, हर एक सुहागन राज़ी है। 

 

14.

काजल बिंदी बीच महावर, लाल सुहागन हो गई मैं,
सात फेरों की गरिमा में, तेरी जोगन हो गई मैं।

 

15.

गहने के पावन रत्नों पर, है नाम पिया का रचा हुआ,
सच-भ्रम की पावन मिटटी पर, संजोग का साथ है बसा हुआ। 

 

16.

मस्तक सूरज की लाली, नित प्रीत के सात वचन,

बीच भंवर महिमा बांधे, सिन्दूरी सात जनम। 

 

17.

मन की मन्नत की चौखट, पूरा करती हर एक उम्मीद,
हर बार झुका सर सजदे में, नए रिश्ते संग जब जुड़ी लकीर।

 

18.

स्वर्ण सुबह के सूरज सा, तेज है माथे पर बस्ता,
मेरी मंज़िल हो तुम ही पिया, चलूँ मैं चाहें जिस रास्ता।

 

19.

सजा के अंगना डोली में, झिलमिल चमके रे कंगना,
प्रीत सुहागन की बनकर, हर जन्म में साथ मेरे रहना।

 

20.

सात स्वरों की गरिमा में, बस्ती जीवन की झंकार,
पिया के रंग में खोकर ही, हर स्वप्न हुआ साकार।

 

21.

चौथ के चाँद की मूरत, साथी के रूप में पाई है,
शीतलता से साकार हुई, जब से मांग सजाई है। 

 

22.

लाल चुनार बन उड़ जाऊं, प्रीत सभी निभाऊं,
सात रंग के फेरो संग, जीवन मनमीत मैं पा जाऊं।

 

23.

चाँद की ठंडी छाया में, चांदनी ने सुकून पाया है,
तुम पर दिल हार गए, जीत में ख़ुद को पाया है। 

 

24.

साँसों के दीपक की लाली, लौ से दूरी न सह पायेगी ,

सात वचन संग साँसों की, हर जन्म में रस्म निभेगी।

 

25.

खोजेंगे सपनो के घर,
बचपन के नन्हें पर। 

 

26.

आसमान में छुपता फिरता है,
क्या सूरज भी बचपन संग रहता है। 

 

27.

तारों की टीम-टीम कश्ती में, चलो बादल की बस्ती में,
साथ में खेले मौज करे, बचपन की चहकती मस्ती में। 

 

28.

आसमान में सपनों की, उड़ती वो रंगीन पतंगे,
हवा के झोंके संग दौड़े, पंछी बिन पंख खिलोने। 

 

29.

स्कूल की टिक-टिक घंटी में, धड़कन सी अटकी रहती है,
छुट्टी तक नज़र चोरी-चोरी, वही पहरे पर ही रहती है। 

 

30.

हंसना-रोना सब अच्छा है, बचपन का खेला सच्चा है,

झूठ-फरेब की डाली से दूर, मन से पावन हर बच्चा है। 

 

31.

अल्हड़पन की सौगातों से, बचपन को आज़ाद रखो,
करने दो जो वो करते हैं, बस समझ से उनका साथ रखो।

 

32.

खेलों के हम हैं शहज़ादे, चोटों के हैं दुश्मन,
जिसमें हिम्म्मत हो आ जाये, मिटा देंगे सारे भ्रम। 

 

33.

साथ ये अल्हड़पन का है, बचपन के मीत न बिछड़ेंगे,
बनकर छाया एक-दूजे की, साथी कभी हाँथ न छोड़ेंगे।

 

34.

रौशनी की चादर ओढे, हर रोज़ सवेरा जागे है,
खिलखिलाती जिसमें खुशियां, वो सूरज चाचा आ गए हैं।

 

35.

कौन लाता है जग में, जिज्ञासा की डोर,
बचपन बिन खो देगा पहचान, रहेगा न कोई तोर।  

 

36.

स्वप्न सुहाने बचपन के, नंगे पाँव भगायेंगे,
जितना उनको रोकोगे, उतने ही दौड़ लगायेंगे। 

 

37.

खोने की क़ीमत अपनों की,
सारी जागीर से ज़्यादा थी। 

 

38.

यादों के भवर से लौटे ही नहीं,
अपने जो रूठकर गए थे कभी। 

 

39.

आइनों में मुझको न अक्स है दिखता,
अपनी ही सूरतों में उन्हें खोजता रहता। 

 

40.

शैतानों के पंजों पर, अपनों का खूं जो देखा है ,
दरिया ज्वाला का फ़ंट जाये, मैंने वो मंज़र देखा है।  

 

41.

शोलों में अब बची न आग, मुझसे ताप वो लेते हैं,
अपनों को खोकर ज़ख्मों पर, मुझसे आब वो लेते हैं। 

 

42.

सारे छीन मेरे अपने, क्यों मुझको ज़िंदा छोड़ दिया,
क्या जुर्म है मेरा मुझे बता, क्यों तूने ये पाखंड किया। 

 

43.

जब लहू बहा मेरे अपनों का, समझा मैं खूब तेरा खेला,
अच्छे को तूने छीन लिया, बुरे-को तूने है छोड़ा। 

 

44.

धरती चीर के लाऊंगा, अपने दुश्मन को हराऊंगा,
मेरे बदले की अग्नि में, तिल-तिल उसे जलाऊंगा।  

 

45.

अपनों की कीमत है भारी, मुझमें हिम्मत न चुकाने की,
तनहा सबको याद करू, या दुश्मन को बर्बाद करूँ।  

 

46.

काले साये में मैंने, अपनों को खोते देखा है,
ज़िंदा रहा सब सहकर, बस तिल-तिल ख़ुद को मरते देखा है। 

 

47.

साहिल के मुहाने पे, रेत है ठहरी;
यादों के भंवर से, मैं डूब जाऊंगा। 

 

48.

एहसास के दामन में लिपट के रोये,
आंसू मेरे देखना लाल रंग के। 

 

49.

आस के गहरे दीपक में, घनघोर अँधेरा छाया है,
लाली की बाती डोली में, घोड़ी पे राजा आया है। 

 

50.

त्याग का ऐसा काम किया, माँ बाबा ने ही दान किया।
खुद पाल के खुद ही छोड़ दिया, सौ पुण्यों का फिर नाम दिया।

 

51.

पल-पल झर -झर रोये आंसू, हर आती-जाती श्वांस के साथ,

माँ-बाबा की याद दिलाये, एक-एक बदलते एहसास के साथ।

 

52.

साथ साजन का पाने को, खो बैठी अपना ही घर,
अपने को अब न अपना कहना, ये सीख ले आई बिटिया पर। 

 

53.

सौ नखरों की शहज़ादी ने, राजा से रिश्ता जोड़ लिया,
एक पिता ने सबकुछ वार दिया, मन ने मन को छोड़ दिया। 

 

54.

माँ के आँचल में अम्बर था, थी पिता के कन्धों पर खुशियां,
ससुराल में खुद को खो बैठी, लाडों से पली प्यारी बिटिया।

 

55.

आधे-आधे घर का जीवन, पुत्री के हित में कैसे ,
एक रिश्ते ख़ातिर सब तोड़े, ये मोल चुकाए कैसे। 

 

56.

अम्बर सारा अपना था, उड़ती थी रंगीन पतंग मैं,
बाबा के आँगन में पलकर, दौड़ती थी झनक पायल मैं।

 

57.

भरे हुए ज़माने में, त्याग की मूरत देखी है,
सुन्दर जिसे सब कहते है, बिल्कुल नई दुल्हन जैसी है।

 

58.

एक घर बसाने को, दूजा जिसने त्याग दिया,
बिटिया ने माँ-बापू पर, अपना सबकुछ वार दिया।

 

 

59.

न तू बसा मुझमे, न मेरी है पहचान,
अपने हक़ में आये, बस ख़ुद के ही निशान।

 

60.

कह दो उनका छोड़ना, इक भरम-सा है;
मैं उम्र भर इस भरम को, जीती जाउंगी। 

 

61.

सर पर साफ़ा है शहादत का,
न मोल दो मेरी इबादत का। 

 

62.

न टूटेंगे, न झुकेंगे,
फौजी हैं हम, तुमसे न रुकेंगे। 

 

63.

सरहद पे शीश नवाने का, क़िस्मत से मौका मिलता है,
धरती का क़र्ज़ चुकाने का, मन्नत से मौका मिलता है। 

 

64.

अभिषेक है जन्मा साथ मेरे, माटी का क़र्ज़ निभाउंगा,
धरती माँ का लाड़ला हूँ, दुश्मन से जीत के आऊंगा। 

 

65.

दुश्मन की चौखट पर जाकर, मस्तक उसका ले आऊंगा,
तेरी तरफ जो नज़र उठी धरती माँ, चरणों में तेरे नवाऊँगा।  

 

66.

मिटटी की खुशबू में खोकर, उड़ जाऊंगा मैं पंछी,
मेरी महक रहगी सदा यहीं, न्योछावर है हर सांस मेरी। 

 

67.

पोशाकें केसरी सजी, सोहा है धरती का चोगा,
जज़्बों की कश्ती है अपनी,दुश्मन का समुन्दर ग़र गहरा। 

 

68.

देश के पावन झंडे में, एक छवि वीरों की बस्ती है,
उस छाया का मैं अंश बनु, यही जीवन की कुंजी है। 

 

69.

चलो के दूर है आज़ादी, मन के अंतर तक जाने की,
नित-नित पीड़ा सहकर ही, हर बरस जवान हुई है धरती।

 

70.

हर सुबह से शाम रही तपती, मेरी धरती माँ की गोद,
अब न पल्लव अधखिले होंगे, न होगा कोई रोष।

 

71.

झुकते नहीं हैं, आसमां के शामियाने,
ये बताओ पहरों पे, बिठाओगे किसे। 

 

72.

पहचानते हैं मुझको, मेरे हौंसलों से,
यूं ही नहीं करती, दुनियाँ मेरी तारीफ़।

 

73.

न रोकती मुझको इज़हारे इश्क से,
न मैं जान पाता, तड़प उधर भी है।

 

74.

इश्क़ पूरा है, अगर जताया जाये,
या शिद्दत से निभाया जाये।  

 

75.

बूँद-बूँद बरसे है अम्बर, धरती पर हिये लुटाये,
कहे न कुछ चुपचुप तरसे, पहली प्रीत लगाए। 

 

76.

चाहत, तड़प, मिलन और जुदाई,
पहले इश्क़ की क़ीमतें, सारी हमने चुकाई।

 

77.

सुर्ख़ ग़ुलाब की शोखी में, महबूब खिला करते हैं,
ज़माने बदले आशिक़ फिर भी बाखूब मिला करते हैं। 

 

78.

पहरों पे कितने दामन थे, कितने थे अपने भी हक़दार,
हर आहट को रोक दिया, जब से हुआ है पहला प्यार। 

 

79.

सुना है ख़त के लफ़्ज़ों में, तुम आज भी ज़िंदा हो,
पहली मोहब्बत सी जानिब, मेरे बाद भी ज़िंदा हो।

 

80.

इस नोंक के नीचे लिखे हैं ख़त कई,
क़लम की तन्हाई हर दफ़ा तुझसे जा मिली।

 

81.

सजदों में झुका सर कब मेरे यार का ,
मोहब्बत में पाकीज़गी का एहतराम था।

 

82.

हर शीशे की तस्वीर में वो, दुनियाँ से आला दिखता है,
मेरी नियत के नज़रिए में, वही क़िस्मत वाला दिखता है। 

 

83.

सुनों धरा की धड़कन, अम्बर का पहला प्यार लिए,
क्या मुझको भी चाहोगे, ऐसा ही क्षितिज अपार लिए।

 

84.

चाहो तो चाहने की क़ीमत, चुकाने की हिम्मत रखना,
मंज़िल तो मिल जाएगी लेकिन, बस पाने की ताक़त रखना।

 

85.

पत्तों पे जा बिखरा धूप का आँचल,
मौसम से मुहब्बत उसे पुरानी है।  

 

86.

लबों के सिरहों पे, नाम है उसका,
उसे लूँ तो गवा दूँ, न लूँ तो क्या करूँ।

 

87.

मुद्दत से मांगते हो, ख़ुदा से दोस्ती,
कभी तो समझो अपना, दिल्लगी को मेरी।

 

88.

तन्हां है वास्ता तेरी शमाओं का,
चौखटों की तेरी रौशन दुआओं का।

 

89.

चाहतों का कोई मुझको सुबूत दो,
मेरे ख़्याल में तुम बेक़सूर हो। 

 

90.

सपनों के सौदागर को, दूर संदेसा दे देना,
हर जन्म में मेरे बाबा को, तुम मेरा ही रहने देना। 

 

91.

बाबा के साए से बढ़कर, इस दुनियाँ में कोई नहीं,
हिम्मत उनसे ही मिलती है, उन जैसा बंधन कोई नहीं।

 

92.

हर वादे को तोड़ दिया, बच्चो का साथ निभाने को,
पिता ने सब कुछ छोड़ दिया,अपने अंश को पाने को। 

 

93.

क़ीमत सरमाये की जग में, हर रोज़ चुकाता बंजारा,
सूरत से उसे न परखो तुम, उम्मीद का चेहरा पिता प्यारा। 

 

94.

दुनियाँ की तकलीफों को, सर पर अपने ले लेते हैं,
बदले में बाबा मुझको, अपनी सारी दुआएं देते हैं। 

 

95.

तिनके भर का भी ग़म, न मुझको छू पायेगा,
मेरे बाबा की दुआओं से, कोई भी जीत न पायेगा। 

 

96.

एक उम्र गुज़र जाने के बाद, कंधो को झुका लेता है,
एक पिता ही है जो सारे दुखों को, ज़माने से छुपा लेता है।

 

97.

बाबा की हिम्मत को, सलामी कोई न दे पाया,
हर इक तोहफे में बसता, उनकी मेहनत का साया। 

 

98.

भगवान के ग़र कोई चेहरे होते,
बाबा के नक्श से वो हूबहू से होते। 

 

99.

बाबा के हौंसलों को परखोगे क्या भला,
मुश्किल की हर घड़ी में जो उम्मीद से जीता। 

उम्मीद करती हूँ कि दिल को छू लेने वाली emotional शायरी ने आपके मन में जगह ज़रूर बनाई होगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Pragya Padmesh