पापा के लिए दो लाइन कह पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि परिवार के लिए उनके प्यार और त्याग की कोई सीमा नहीं है।
अगर आपको भी किसी खास मौके पर पापा के लिए कुछ शब्द कहने में हिचक होती है तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है।
अपने Feelings को सही तरीके से Express करने के लिए मैंने इस संकलन में पापा के लिए कविताएं जोड़ी हैं, जिन्हें आप कभी भी Share कर सकते हैं और पापा के लिए स्टेटस पर Post भी कर सकते हैं।
पापा के लिए दो लाइन | Sayings To Adore Your BOND
आइए पापा के लिए थॉट पढ़ना शुरू करते हैं –
1. खोया था सपनों में मन, पापा ने भर डाले थे रंग। |
2.
घर की रौनक, माँ की मुस्कान पापा हम सब का सम्मान। |
3.
साईकिल सिखाते पापा, छोड़ा था हाथ तुमने साथ तुम हो, विश्वास आया था ये मन में चुपके। |
4.
पीपल की ठंडी छाँव, कोमल किसलय के मन में भाव पिता का सिर पर रहता हाथ, हिम्मत दुनिया भर की साथ। |
5.
परी देश की सैर कराते, जादू का भी भेद बताते अंधियारे में हाथ थामते, पापा मेरे Hero बन जाते। |
6.
बाँहों का झूला कौन झुलाता है, रातों को लोरी कौन सुनाता है जीवनभऱ पिता अपनी बेटी को, गुड़िया ही कह के बुलाता है। |
7.
आखों से मेरी हर बात समझते थे आप, आँसू मेरे कभी सह न सके थे आप ग़लती पर भी मेरी, कैसे मुस्का दिए थे पापा आप। |
8.
लोग कहते हैं कि पराया धन है बेटी, पापा कहते है मेरी शान है मेरी बेटी। |
9.
नाज़ुक-सी कली है मेरी बेटी, नाज़ों की पली है मेरी बेटी जिगर का टुकड़ा है मेरी बेटी, पापा की नज़र में ऐसी ही होती है हर बेटी। |
10.
उड़ने वाला घोड़ा आता था, परियों के देस मुझे ले जाता था परियों की रानी आती थी, फिर वो जादू बिखराती थी मैं भी परी बन जाती थी, क्या पापा की रची कहानी थी? |
11.
दूजे घर जाना बेटी को, घर के काम सिखाना उसको कहते लोग मेरे पापा को, सुनकर पापा गले लगाते मुझको पढ़ लिख बेटी विद्वान बनेगी, दुनियाभर की सैर करेगी दूजे घर क्यों जाएगी, वो अपना संसार नया बसाएगी। |
12.
आसमान का साया सिर पर, जाने क्या-क्या समेटे रहता पिता भी साया बन बेटी पर, जीवनभर दिल में प्यार समेटे रहता। |
13.
मैं दुनिया से लड़ जाती हूँ, मैं हर सागर पार कर जाती हूँ पिता को साथ ही पाती हूँ, हर मुश्किल में मैं उनको अपना हाथ थामे पाती हूँ। |
14.
कमज़ोर न मुझको होने देते, हिम्मत देते पर पीछे रहते कहते तुझ में शक्ति भरी है, ये दुनिया औरत से ही बनी है रुकना नहीं है-झुकना नहीं है, बाधा देख के मुड़ना नहीं है यहाँ रहें या वहाँ रहेंगे, पापा तेरे साथ रहेंगे। |
15.
पिता शब्द में प्रेम भरा है, एक गुरु का ज्ञान भरा है राह दिखाते, दुनिया की तहज़ीब सिखाते अख़बारों की ख़बर सुनाते, अच्छे-बुरे की समझ बताते कायदे-कानून का नियम बनाकर, जीने की तरकीब बताते। |
16. बुरी नज़र से मुझे बचाते, वक्त पे बब्बर शेर बन जाते दूजे पर विश्वास न करते, बेटी को अनमोल समझते पापा की नज़रों से देखें, लड़की को उपहार समझते। |
17.
तू मेरे घर का उजियारा, घर में चहके जैसे चिरैया तुझसे रौशन पापा की दुनिया, बिटिया मेरे जीवन की छैया। |
18.
ख़ुद घोड़ा बन, झाँसी की रानी था बनाया काँधे पर बैठा, ऊपर उठना सिखलाया दुनिया ने जब मुझे गिराया, ढूँढ रही थी फिर से काँधा उन्हीं काँधों का था वो सहारा, पिता ने ही था मुझे संभाला। |
19.
मेरे अब्बा मेरे दोस्त, मैं उनकी आँखों का नूर दुनिया की बस एक ही सोच, नहीं चाहिए ऐसी सोच होगा वही जो बिटिया को हो मंज़ूर। |
20.
दुनियाभर का प्यार लुटाते, जो कह दूँ वो झटपट लाते माँगूँ एक तो ढेरों लाते, अपने जूतों के छेद छिपाते माँ को इशारों में सब समझाते, पापा अपने भेद बाहर न लाते। |
21.
घर के काम न करने देते, कहते कोमल हाथ हैं तेरे कैसे-कैसे नखरे सहते, आँखों में सपने भर देते सब कहते ये ग़लत हो करते, बेटी को तुम सिर पे रखते बाबा मेरे मुस्का देते, नादाँ हो तुम, बेटी का न मोल समझते। |
22.
जब देहरी लाँघी पीहर की, तो देखा मैंने मुड़कर ढूँढ रही थी आँखें मेरी, अपने बाबा की प्यारी मूरत आँखें उनकी धुंधला जातीं, देख के मेरी रोनी सूरत बिन उनके कौन, जो समझे मेरे दिल की हालत। |
23.
ये शाखाएँ जो लहराती हैं, हवा के संग में गाती हैं जड़ पकड़े है धरती को, ये तना संभाले रहता है अपना सौंदर्य छिपाता रहता है, टहनियों को जीवन देता है पिता की भाँति हर बेटी को, अपने से जुदा न होने देता है। |
24.
बेटी अपने पापा को, बस दिल में बसाए रहती है अपने हमदर्द में वो अपने पापा की, परछाईं ढूँढती रहती है। |
25.
बेटी को साहस देते, पर बेटी के लिए साहस खो देते कैसे वो कष्ट उठाएगी, दुनिया का बोझ उठाएगी बेटी मेरी नाज़ुक-सी, कोमल दिल की है पापा के दिल की धड़कन है, आँखों में समाई रहती है। |
26.
हर मुश्किल को सह जाऊँगा, हर बाधा तोड़ के आऊँगा अपनी बिटिया की हर इच्छा, मैं पूरी करके लाऊँगा पापा का ये कहना, मैं अपनी बेटी को सिर का ताज बनाऊँगा। |
27.
पापा मेरे Number One, पढ़ लेते वो मेरा मन मेरे लिए बन जाते He-Man, वैसे हैं वो पूरे Gentleman. |
28.
गुण पापा के हींग के जैसे, अद्भुत अपनी महक हो वैसे डिब्बी हींग की, बिन हींग भी महके मैं भी बिल्कुल डिब्बी जैसे। |
29.
हर युग में बेटी ने, अपने पिता का मान बढ़ाया त्रेतायुग या सतयुग हो, कलयुग में भी बेटी ने पिता का नाम चलाया। |
30. जन्म लिया तब जुड़ी आत्मा, साँसें जुड़ी रही बेटी से तन खोया था एक पिता का, बेटी में थी छोड़ी आत्मा। |
31.
उड़ा था कैसे एक दिन मेरे हाथ का वो गुब्बारा, रोई थी मैं कितना उस दिन पाने को वही गुब्बारा पापा कितना हुए परेशान, न मिला था जब मेरा गुब्बारा पापा आओ आज कहीं से, उड़ा है फिर से मेरे मन का गुब्बारा। |
32.
Docter बनेगी, No Papa Engineer बनेगी, No Papa फिर क्या बनेगी? बेटी मुस्काई डाल गले में बाँहें, फुसफुसाई कानों में बस आपकी बेटी बनूँगी मैं पापा। |
33.
कैसे भूलूँ मैं वो प्यार, जब पड़ी थी मैं बीमार रातभर जागे थे पापा, खोले मंदिर के द्वार मेरी बेटी के दुख दूर करो, मुझको देदो उसका बुखार कौन करेगा इतना प्यार, जो सब कुछ कर दे मुझ पर कुरबान। |
34.
कैसी विदाई कैसी जुदाई, बिन बाबुल फीकी शादी की बधाई बाबुल का घर द्वार था छूटा, जब बाबुल ने ले ली थी बिदाई मन-इच्छा का द्वार था टूटा, आशाओं से हुई जुदाई। |
35.
बादल गरजे-मोर था नाचा, मेरा मन बचपन में भागा पापा की बाँहों का झूला, गीतों के संग तन था भीगा। |
36.
अंताक्षरी जब खेला करते, पापा दूजी Team में रहते जो आता था मुझको गीत, उसी अक्षर पर लाते गीत हर गीत वो मुझसे पूछा करते, मुझे जिताने पर वो रहते। |
37.
बेटा होता पिता का रुप, कोई ऐसा है क्या Rule? बेटी तो है मेरी छाया, जिस पर भी हो उसका रुप। |
38.
न सागर को बाँध के लाए, न बादल धरती पर लाए मेरे पापा जब भी आएँ, प्यार का सागर साथ में लाएँ आँखों में बादल भर लाएँ। |
39.
रात-रात भर गीत सुनाते, गीतों में ही प्यार जताते शब्दों में ना ज़ाहिर करते, पापा सब कुछ गीतों में कहते अनोखे ढंग वो ढूँढते रहते, शायर कभी, कभी वो कवि बन जाते। |
40.
परमेश्वर को पिता हैं कहते, आसमान को अंबर पिता में बसते परमेश्वर भी, गगन भरा है अंदर। |
41.
माता-पिता में ता है एक, पहले अक्षर का केवल भेद पिता में होता माँ का मेल, पिता में रहते रुप अनेक। |
42.
कड़ी धूप-सी राह है जीवन, सिर पर रहता तपता सूरज पिता हैं ठंडी छाँव घनेरी, राह रही न कभी अकेली। |
43.
अपना दुख वो कभी न कहते, सब कुछ सही है कहते रहते ख़ामोश सोच में डूबे रहते, हर मुश्किल को आसाँ करते जाने क्या-क्या सहते रहते, घर को कभी न रुकने देते पापा हैं, सब बेफ़िक्र हैं रहते, अपनी ज़रुरत को पीछे रखते। |
44.
पतंग हमारी सबसे ऊँची उड़ती, काट कोई न पाता था आसमान को छूकर आती, परिंदों के संग उसका नाता था डोर हाथ में पापा के थी, माँझा उनका पक्का था। |
45.
सीधे-सादे मेरे पापा, डाँट कभी न पाते हैं झाँकतीं चश्में से दो आँखें, धीमे से मुस्काते हैं कुछ ऐसा फिर भी है उनमें, क्या ग़लत हुआ सब जानते हैं उनकी ख़ामोशी कह देती, उस ख़ामोशी से हम घबराते हैं। |
46.
पापा कहते तुम कुछ भी करो, पर एक अच्छा इंसान बनो दुनिया की भागा दौड़ी में मत, ग़लत राह पर पाँव धरो पहचानो और जानो पहले, सोच विचार के काम करो मुश्किल हों चाहे राहों में, ईमान को लेके साथ चलो। |
47.
लता पनपती पेड़ सहारे, लहराती वो चढ़ती जाती, न घबराती पेड़ भी उसको गले लगाता, पोषित करता गिरने उसको कभी न देता, आँधी फिर एक ज़ोर से आई लता छिटक कर नीचे आई, पेड़ तड़प कर रहा देखता, पिता से हुई ज्यों बेटी की जुदाई। |
48.
सावन आया भीगे नैना, आँगन में बोले पपीहा, मैना घर के नीम का झूला और ठंडी छैया, सखियों के संग करती थी छप्पक-छैंयाँ बाबा रंग-बिरंगा झूला लाते, कहते डरना मत, मैं जो हूँ नीचे फैलाए अपनी बैंयाँ। |
49.
खेल – खेलते गिरी थी जब मैं, लगी चोट तो चिल्लाई मैं पापा झट से बाहर आए, दर्द मुझे था पर आँखों से उनके बहता जाए गिरी हूँ अब भी, चोट भी खाई लेकिन कोई देखने बाहर न आए। |
50.
पापा मेरे Credit, Debit सारे Card, कभी-कभी Account कर देते Block कहा था एक दिन बैठाकर पास, सोच समझ कर करो हिसाब नहीं लगा घर में पैसे का झाड़। |
51. समय पे आना, समय पे सोना खाने का तुम रखना ध्यान लगती थी कितनी बेतुकी बात, यही था मेरे पापा का ज्ञान बड़े हुए तो समझ में आया, इसी ज्ञान में जीवन का निर्माण। |
52.
अंधियारे से डरती थी, अकेले कभी न चलती थी पापा को साथ में रखती थी, उन्होंने मुझे एक राज़ बताया चुपके से मुझ को समझाया, दो बाहर तो होती दो भीतर भी आंख नहीं अकेले होंगे, गर रखो ख़ुद को सदा तुम साथ। |
53.
धर्म कहां मैं समझी थी, मन में एक ये उलझन थी आपने पापा मुझे बताया, इंसां का था धर्म समझाया भेद न करना लोगों में, भगवान बसा हर ज़र्रे में। |
54.
कभी सख़्त तो कभी नर्म, कभी हो जाते गर्म गर्म पढ़ाई है सबसे पहला कर्म, तभी बनोगे Number One पापा की ये बातें तब, करते कब थे हम पसंद उनके कारण ही तो आज, जीवन में आगे बढ़े कदम। |
55.
सर्दी आती Coat Sweater बनकर आते, मेरी टोपी, मफ़लर भी लाते पापा अपना बस मफ़लर लाते, कहते गर्म कपड़े मुझको न भाते चुपके से चादर लिपटाते, भाई का पुराना Sweater अटकाते दिखलाते जैसे हो उनको बिल्कुल Fit, सारे पैसे हम पर खर्च कर आते। |
56.
चिड़िया ने रोशनदान में दिए थे अंडे, बच्चे निकले चीं चीं करते शोर मचाते पापा चिड़िया को दाना-पानी देते, बिल्ली से भी उन्हें बचाते शरीर पिता का पाया था पर दिल माँ का, तभी तो चिड़िया समझ रही थी घर को अपना मायका। |
57.
गाँधी बापू से मेरे बापू का रिश्ता अनदेखा था, पर था वो पक्का दिल का सर्दी ने जब ज़ोर लगाया, पापा ने खादी का एक Coat बनवाया दफ़्तर गए पहन कर उसको बड़ी शान से, खादी का है सोच के उनका दिल भरमाया शाम को लौटे Coat नदारद हमने पाया, मुस्काकर बोले जिसका था उसको दे डाला एक बेचारा राह में बैठा ठिठुर रहा था, न रुकता और कदम बढ़ाता आईना देखके मैं शरमाता। |
58.
सुबह की दौड़ लगवाते थे, रातों-रात पढ़ाते थे आलस पर डाँट लगाते थे, निकली हाय जो मुख से मेरे पापा घबरा जाते थे, सारा घर सिर पे उठाते थे। |
59.
बैठ के पापा के काँधे पर जो देखी थी दुनिया, कितनी बड़ी लगी थी दुनिया अपने पैरों पर खड़े हैं आज, देख रहे हैं दुनिया क्यूँ छोटी लगती है दुनिया। |
60.
एक डायरी पापा की, कुछ पीले, कुछ कच्चे हुए जो पन्ने लिखा था उसमें उनका संसार, उलट रही थी जिन पन्नों को वो न थे पीले, न थे कच्चे उन हर्फ़ों में जी उठे थे कितने सपने। |
61.
चिट्ठी का अब गया ज़माना, अब तो Email, Whats App का नया ज़माना पापा अब भी चिट्ठी लिखते, Post Office में जाकर Post भी करते बहुत कहा पर वो न मानें, कहते स्याही और पन्नों का है रिश्ता दिल से बहुत पुराना चाहे कितना बदल जाए ज़माना, इंतज़ार का मज़ा निराला। |
62.
पापा के हैं शौक निराले, न T.V. न C.D. वाले वही पुराना Transistor है उनको प्यारा, बिगड़े वो तो बिगड़े Mood चाहे हो कोई भी प्यारा, Mechanic भी ख़ुद बन जाते चाहे लग जाए दिन फिर सारा। |
63.
Dad मेरे हैं बहुत ही Cool, रोज़ बदलते रहते घर के Rule जो हम करें नहीं मंज़ूर, हँसकर कहते नए बनाओ Rule और बनो कुछ Cool. |
64.
पापा Scooter अपना यूँ चमकाते, जैसे हो वो कोई मंहगी Car नहीं समझे हम उनका वो प्यार, पहली कमाई का होता है अपना ही दुलार। |
65.
वैसे उम्र से हैं पापा साठ के ऊपर, दिल से बिल्कुल नहीं तीस से ऊपर हमने सीखा है उनसे ही, उम्र नहीं है कोई बंधन दिल को रखो अपने साफ़, नफ़रत का न हो कहीं भी नाम प्यार से होता तनमन साफ़, रहोगे हरदम तुम जवान। |
66.
पापा की ख़ामोशी से सारा घर डर जाता है, आखिर हुई क्या ग़लती हम से इस सोच में घर जुट जाता है, किसकी हिम्मत उनसे पूछे कोई आस-पास भी जाने से घबराता है, बस उनकी मुन्नी का हँसता चेहरा उनकी मुस्कान लौटा कर लाता है। |
67.
सफ़र Train का करना हो तो, पापा खुश हो जाते हैं हर Station पर उतर-उतर कर पूरी सैर कर आते हैं, बिकानेर की भुजिया, आगरे का पेठा, अहमदाबाद का खाखड़ा तो चैन्नई का डोसा सब कुछ स्वाद कराते हैं, हर खाने का मज़ा चखाते हैं। |
68.
पापा को है काम का चस्का, खाली बैठ न पाते हैं मोहल्ले की Meeting बुलाते हैं, नए-नए कानून बनवाते हैं Social Work भी करवाते हैं, बच्चे-बूढ़े और औरतें सबको शामिल करवाते हैं। |
69.
एक दिन मैंने पापा से पूछा, क्यों पीपल को पूजें लोग पापा बोले, सुन री मुनिया इसमें बसते हैं प्राण, दिन हो या रात ये करता है अद्भुत काम, शुद्ध हवा ये हमको देता अशुद्ध को लेता भीतर डाल, सोचूँ मैं, पापा और पीपल दोनों बिल्कुल एक समान। |
70.
नन्हा पौधा पीपल का छत पर, झिर्री में से रहा था झाँक मैं हैरां थी देख के उसको, न मिट्टी न पानी इसमें कैसे खिला ये अपने आप, पापा ने तब बात कही एक बनना तुम पीपल के जैसा, हर हालत में खिल के रहना हालत को तुम दोष न देना, करना काम तुम नेक। |
71.
सोचा कभी न अपने मन का, यारों में दिल था उनका Phone कभी जब उनका आता, दिल उनका बचपन का होता शैतानी वो बचपन की और किसी पे उनके दिल का आना, पापा भी कभी बच्चे थे क्या, शैतानी भी करते थे क्या उनके भीतर का वो बच्चा, जगा गया था याराना। |
72.
अख़बारों की रेलम-पेल, Politics का खेल देश के भीतर-बाहर की बातें, सबकी रहती जानकारी Cricket हो या खेल Tennis का, रहती उनकी पूरी तैयारी पापा मेरे Update रखते हैं, Knowledge अपनी सारी। |
73.
Laptop और Mobile Phone से रहते पापा दूर, बहुत हुआ तो T.V. पर वो देखें English Movie ख़ूब वो कहते हैं चुरा ली इसने मस्ती सारी, जो मिलकर करते थे ख़ूब। |
74.
मुझको लगता हरसिंगार का पेड़ हैं पापा, खिलता और आँगन को महका देता सारे फूल बिछा देता, अपनी खुश्बू हमको देकर सपनों को महका देता। |
75.
आँगन में था बड़ का एक पेड़, आँधी आती बारिश आती धूप चमकती लूएँ चलती, पर घर में न आने पातीं पिता का साया सिर पर ऐसा, मुश्किल न हम तक आने पाती। |
76.
अब नींद न मुझको आती है, पापा की लोरी बहुत याद आती है राजकुमारी सोजा, प्यारे सपनों में खो जा बाँहों के तकिए पर गहरी नींद सो जाती थी, सपनों में खो जाती थी बरसों से मैं सोई नहीं, लोरी कानों में आती है सपने भी अब कम आते हैं, वो बाँहें कहीं खो जाती हैं। |
77.
चश्में के पीछे से दो आँखें, स्नेह बहुत छलकाती थीं मुख से न कहूँ फिर भी वो जाने कैसे, समझ सब जाती थीं जाने क्यों वो आँखें पापा की, मुझे देख भर आती थीं। |
78.
सातों सागर इस दुनिया के, क्या समा सके इन आँखों में ? आसमान की झोली भर, क्या बसा सका कोई दिल में ? नहीं आसान समझना इसको, छिपा है क्या उनके मन में पिता शब्द में छिपा है सब कुछ, झाँकों तो उनके दिल में। |
79.
मेरे पापा मेरी Dictionary मेरे Encyclopedia, कहीं भी अटकूँ मैं जीवन में भरा हुआ भंडार है उनका, सड़क कोई मैं उल्टी पकड़ूँ उनका Map कराता सीधा, History हो या Geography ज्ञान सभी का पक्का रखना है, उनकी यही Philosophy. |
80.
साँप सीढ़ी या लूडो खेलें, पापा हरदम जाते हार हम अपने को खिलाड़ी समझें, खुश हो जाते उनको देकर मात बड़े हुए तो समझ में आया, ख़ुद हारे और हमें जिताया। |
81.
हिंडोले पर मैं डरती थी, पापा की गोदी में छिपकर आँखें बंद करती थी आपने प्यार से कहा था मुझको, आँखें खोलो दुनिया देखो बंद आँखों में अंधकार है, दूर नज़र उठा कर देखो चमत्कार ही चमत्कार है । |
82.
क्या खोया क्या पाया है, ये सोचना है बेकार क्या दिया क्या देना है, बस इससे रखो सरोकार पापा की इन बातों ने, खुशियों से भरा मेरा संसार। |
83.
फ़िल्में हमको खूब दिखाईं, समझा कर हर बात बताई मस्ती भी थी खूब कराई, ग़लती पर फिर डाँट भी खाई ऐसी ही पिता ने राह दिखाई, यही थी उनकी सच्ची कमाई। |
84.
सब कहते हैं, तुझ पर पिता का साया है तू उनकी ही छाया है, बेटी है तो क्या है तू उनका सरमाया है। |
85.
कितनी बहस मैं करती थी, हर बात पे कितना तंग करती थी फिर भी कुछ न कहते थे, बस मुस्कान चेहरे पर रहती थी अब दूर हूँ इतनी पापा आपसे तो, आँखें मिलने को तरसती रहीं दिन-रात ये सोचा करती हूँ, क्यों इतना मैं, अपने पापा को तंग करती थी। |
86.
गुरुद्वारा हो या गिरिजाघर या हो मंदिर मस्जिद, हर जगह पे सिर को नवाया है हर एक को दिल में बसाया है, हर ज़र्रे में भगवान बसा हर इंसाँ में वो समाया है, सीख मिली है पिता से यही जिसने हमको इंसान बनाया है। |
87.
क्या Bank Balance का करना है, क्या करना महल-दोमहले का पिता का सिर पर हाथ रहे, कायनात को पाने जैसा है। |
88.
ख़तों को मैंने रखा है संभाल, बंधा है उसमें पापा का प्यार जब उदासी मन को घेरती है, अंधियारे दहला जाते हैं तब उन्हीं ख़तों को खोलती हूँ, हिम्मत पर्वत बन जाती है। |
89.
मैं गीतों को गीत सुनाती थी, मैं अंधियारे खा जाती थी मैं पवन वेग से उड़ती थी, कलियों के संग खेला करती थी ये बात नहीं है आज की, न बात है बीते कल की ये बात है तब की जब, पापा के संग मैं गाती थी पापा का हाथ पकड़ते ही, मैं अंधियारे खा जाती थी। |
90.
भगतसिंह और राजगुरु के गीत बहुत ही गाते थे, आज़ादी के किस्से हमको खूब सुनाते थे 26 जनवरी जब-जब आती, पाँच बजे उठाते थे मैं सोई-सी कुछ जागी सी पर, Parade पूरी दिखलाते थे पापा की इस देशभक्ति से, हम भी जोश में आते थे। |
91.
गर्मी से बचने शिमला लेकर जाते थे, जब शिमला न जा सके तो घर को ही शिमला बनाते थे, पानी भरकर कमरे में सामान बाहर करवाते थे, हमको खुश करने के लिए, पापा न जाने क्या-क्या कर जाते थे। |
92.
हारी नहीं मैं देखो आकर, थकी नहीं मैं देखो आकर रुकी नहीं मैं देखो आकर, फैलाईं हैं मैंने शाखें देखो आकर जैसे आप कहा करते थे पापा, वैसे ही चलाई ज़िंदगी मैंने देखो आकर। |
93.
दोपहर की घनी छाँव थे आप, मेरे सुरों के तार थे आप उंगली पकड़ कर भीड़ में मेरे साथ थे आप, सीप में मोती की तरह मुझे रखते थे पापा आप। |
94.
बाबूजी का थैला है बड़ा मशहूर, भरे हैं उसमें कितने किस्से सेहत के नुस्खे और अंजाने रिश्ते, सबकी सुनते जैसे हों उनके घर के हिस्से बच्चों को वो Toffee के संग प्यार भी बाँटें, गली के कुत्ते, बिल्ली भी उनके प्यारे तभी तो उनको सब कहते हैं, थैले वाले बाबूजी हैं हमारे सबसे न्यारे। |
95.
सैर सुबह की पक्की पापा की, मौसम हो चाहे कितना भी खराब बारिश होती छाता लेकर जाते, पाँच बजे ही वो उठ जाते सैर बिना उनका दिन सूना, पहले सैर फिर काम हो कोई दूजा। |
96.
पिता कब कहते बेटी से कि, मेरे सपने पूरे करना पर पिता के सपनों में हरदम बेटी रहती, बेटी उनके सपनों को बिन कहे समझ पूरा करती। |
97.
बेटी पिता की बगिया का सदाबहार एक फूल, देख के उसको उनके दिल के खिलते हैं फूल अपने दिल की क्यारी से न होने देते दूर, बेटी भी उनकी दुनिया को जाती नहीं भूल। |
98.
सोती जागती गुड़िया लाए, चूड़ी, गजरा, घाघरा भी लाए काश कि बिटिया मैं तब आ जाता, जब मैं तुझको जागती पाता जब मैंने तुझको जागते पाया, तुझको बिदा कराने आया। |
99.
पापा ये दीवार हमारी कभी न पाई टूट, बेटी एक पराया धन है ये झूठी है रीत, चलो हम इसको तोड़ ही डालें नई बनाएँ रीत। |
उम्मीद करती हूँ कि पापा के लिए शायरी पढ़कर आपको अपने मन में छिपी Feelings का एहसास ज़रूर हुआ होगा और कुछ मीठी यादें ताज़ा हुई होंगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।