सुहाने मौसम पर शायरी पढ़कर मन उमंग से भरकर अनगिनत ख्यालों में डूबा रहता है। 

एहसासों से सराबोर कर देने वाली बारिश के मौसम पर शायरी पुरानी यादों को झट से ताज़ा कर देती है। 

इसलिए मैंने आपके लिए इस संकलन में बदलते मौसम पर शायरी शामिल की हैं, जिन्हें आप कभी भी Share कर सकते हैं। 

सुहाने मौसम पर शायरी | Captions To Feel The PLEASURE

आइए मौसम पर शायरी पढ़ना शुरू करते हैं-

1.

प्रकृति का आशीर्वाद।

 

2.

हर मौसम कुछ कहता है,

बदलना दस्तूर है

सिखाता है।

 

3.

आबोहवा बोली,

प्यार की धुन में डोली।

 

4.

वक़्त के साथ चल दो,

मौसम के रंग में खुद को ठाल दो।

 

5.


बदलते रहना,

ये नियम है पक्का

मौसम ने सिखाया सबको कब का।

 

6.

समय पे बदला न मैं,

मौसम सा पलटा न मैं

जो था वहीं रहा,

तभी तो पछताया भी मैं।

 

7.

मौसम से बदल गए तुम,

कहते थे प्यार है तो

कहाँ रह गए तुम।

 

8.

इश्क़ की शुरूआत हो गई,

बरसात से पहले

गीली मेरी आँखे हो गई।

 

9.

कुदरत का मानव को,

दिया गया उपहार।

 

10.

प्रकृति का चेहरा नज़र आता है,

वो मौसम हीं तो है जो हमें दिखाता है।

 

11.
फिज़ा के रंग बदले,मौसम के रुख बदलेमेरा तो यार बदला।

 

12.

जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन आता है,

ठीक वैसे-वैसे हमारे मन-मस्तिष्क में भी

परिवर्तन आता रहता है।

 

13.
वृक्ष-पहाड़, पशु-पक्षी मौसम के साथ बदलते अपने आप हैं परिवर्तन का संकेत देते चुपचाप हैं।

 

14.

कभी पतझड़ कभी खिलती कली है,

मौसम का ये दस्तूर है।

 

15.

सर्दी, गर्मी और मानसून,

मानो प्रकृति ने पहना कोई गहना है।

 

16.

प्रकृति भी चद्दर बदलती है।

 

17. 

प्रकृति ने खुद को सर्दी, गर्मी और मानसून में

विभाजित किया हुआ है।

 

18.

सर्दी, गर्मी या हो मानसून

प्रकृति का एक चोला है।

 

19.

ऋतु बदली लेकिन मैं वहीं हूं,

जैसा छोडा़ तूने वैसी तो नहीं

लेकिन अब ठीक हूं।

 

20.

सर्दी में सर्द, गर्मी में गर्म

मानसून में गीली ये घरती है

जो चुपचाप सब सहती है।

 

21.

मौसम के बदलने के साथ में,

त्यौहारो का भी आगमन होता है।

 

22.

दिवाली शरद को लाई और होली ने,

शरद को बोला Bye.

 

23.

पहले बंसत, ग्रीष्म, वर्षा बाद में आया

शरद, हेंमत ओर शीत कहे कब तक रुके हम?

 

24.

ऋतुओं में मुझे बाँट दिया बंसत,

ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेंमत और शीत

छ: भागों में विभाजित किया।

 

25.

न हो ज़्यादा गर्मी,

न हो ज़्यादा सर्दी और कहलाए ऋतुऔ का राजा भी

वो कोई और नहीं वो सिर्फ बसंत है।

 

26.

बसंत ऋतु में सुहानी हवा चलने के कारण,

हमें और अधिक तरोताज़ा महसूस होता है।

 

27.

प्यार का कोई Reason नहीं,

सावन सा कोई Season नहीं।

 

28.

सुहागनों की जिसमें बसती है जान,

पति की लंबी उम्र का मागती है वरदान

बसंत में ही आता है,

बसंत पंचमी का त्यौहार।

 

29.

मौसम का खेल निराला।

 

30.

कभी सौम्य रुप से हमें लुभाए,

कभी रौद्र रुप से हमें डराए

मौसम के रुख से कोई भी न बच पाए। 

 

31.

ग्रीष्म की तपिश-सी,

मेरे दिल में तेरे इश्क़ की लौ है। 

 

32.

बंसत ने तड़पाया,

ग्रीष्म ने जलाया

वर्षा ने रुलाया,

आशिकों को मौसम ने बहुत सताया।

 

33.

ग्रीष्म में सूरज का ताप,

अधिक होता है।

 

34.

बिन बादल बरसात हुई,

वर्षा को तो आने में अभी देर है तो

ये ग्रीष्म में कैसे बौछार हुई?

 

35.

सूरज की किरणें,

ग्रीष्म में बदन को छूते ही

जलाने का दम रखती है।

 

36.

सूख जाते है नदी-तालाब,

ग्रीष्म के आने से। 

 

37.

वर्षा ने भरा था जिसको,

ग्रीष्म ने खाली कर दिया उसको।

 

38.

नदी-तालाब का पानी भाप बनके उड़ गया,

ग्रीष्म के आने से नदी-तालाब सूख गये।

 

39.

ग्रीष्म ने किया प्यासा धरती को,

वर्षा ने एक-एक बूँद बरसा के

धरती की प्यास बुझाई।

 

40.

ग्रीष्म की तपिश के बाद ही तो,

वर्षा की याद आती है।

 

41.

बारिश की बूंद धरती पर गिरते ही,

मिट्टी की सौंधी खुशबू

मन को आनंदित कर देती है।

 

42.

बारिश की बूंदो की ध्वनि,

कानों में मधुर गान जैसी

सुनाई दे रही है।

 

43. 


बरसात में चलते-चलते,

पैर कई बार कच्ची सड़क पर

मिट्टी में घस जाते हैं।

 

44.

बारिश तो रुक ग,

अब तेरी निगाहें किधर है।

 

45.

दुनिया के सारे कीमती,

इत्र की खुश्बू एक तरफ़ और पहली बारिश में

आने वाली मिट्टी की खुश्बू एक तरफ़।

 

46.

वर्षा के दिनो में मिट्टी की महक से,

मन मदहोश हो चला है।

 

47.

वर्षा के आगमन से किसानो के चेंहरे,

कमल के फूल की भांति खिल उठते हैं।

 

48.

वर्षा के बाद सूखी धरती ने मानों,

हरी चादर ओढ़ी हो , ऐसे खेत नज़र आते है।

 

49.

अमीरो में रोचकता और गरीबो में तनाव लाता है,

जब पहला बादल गरजता है।

 

50.

आज मेंने गरीब की,

टपकती छत से वर्षा देखी है।

 

51.

बारिश में केवल गरीब की छत के टपकने से,

उसके हौंसले नहीं पिधलते।

 

52.

कहीं पकोडे का बहाना तो,

कहीं सिर पे सिर्फ Polythene Bag का सहारा।

 

53.

छाते में भी भीग जाता हूं,

चलते हुए मिट्टी खुद पर उड़ाता हूं।

 

54.

Umbrella तो तेरे पास है नहीं,

On The Way बारिश आये तो

फिर मुझे कहना नहीं।

 

55.

बरसात से पहले बादल गरजे,

प्रकृति ने संकेत दिए लेकिन

हम कहाँ समझे।

 

56.

परो को भीगा दिया,

घोंसलों को हिला दिया

इकट्ठे किये थे जो दाने,

बारिश की बूंदों ने बहा दिये।

 

57.

गीले मेरे पंख हैं,

घर अभी बहुत दूर है

रास्ते में बादलों का झुंड है। 

 

58.

टपक-टपक के छन्नी किया,

बारिश ने पथ्थर दिल को भी पिघला दिया।

 

59.

गीली मिट्टी में फिसलन बहोत है,

बारिश के ईश्क़ में डूबा पूरा शहर है।

 

60.

तेरी याद में मेंरा दिल इतनी ज़ोरो से धड़क रहा मानों,

गरज रहे हो आसमान में बादल।

 

61.

वादल के बरसने से पहले,

बिजली के कडक़ने से पहले

तू आजा मेरे पास,

इस शाम के ढलने से पहले।

 

62.

ऊंची Building में मिट्टी का,

स्पर्श कहा पा ओगे

वादल बरस रहे हैं छू लो उसे नहीं तो,

आज फिर सूखे रह जाओगे।

 

63.

पकौड़े के बिना चल जाएगा,

एक कप चाय में ही

बारिश का मज़ा आ जाएगा।

 

64.

बारिश अब थम चुकी है,

हाथ में चाय का कप है

पहली चुस्की गले से उतर चुकी है।

 

65.

बारिश की बूदों का पहरा,

हरी घास का वो गहना

बरसात का क्या कहना।

 

66.

हरी पत्तियों पर बरसात की,

बूंद सफ़ेद मोती-सी लग रही है।

 

67.

बारिश में भीगते ही याद है,

आई वो पहली मुलाक़ात

जब मैं थोड़ी देरी से थी आई।

 

68.

बारिश की बूंदो ने छुआ मेरे हाथो को,

महसूस हुआ स्पर्श किसी अपने का।

 

69.

बादल ने बरस के मुझ पर,

उपकार कर दिया

बूंदो ने आँखो के आँसू को,

खुद में समा लिया।

 

70. 

बरसात में भीगते ही Fever हुआ,

तुझे देखते मेरा दिल Crazy हुआ।

 

71.

धरती और आसमान जितनी दूरी थी,

मिलन में अभी देरी थी

बादल से दोनों की तड़प देखी न गई,

वो बारिश बनके गिर पड़ा।

 

72.

तेरी याद में कितने मौसम गुज़ार दिए,

कभी छत पर पापड़ तो

कभी गीले कपड़े सुखा दिए।

 

73.

खुद बदलो या न बदलो,

मौसम के संग पहनावे बदलने पड़ते हैं।

 

74.

सर्दी में बही नाक,

गर्मी में बहा पसीना

वर्षा में भीगा पूरा शरीर।

 

75.

शरद मौसम में,

पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़े

तप में लीन साघु-सी नज़र आती है।

 

76.

नाक मेरी Ice-cream सी जम गई है,

लगता है दरवाज़े पे शरद ने दस्तक दी है।

 

77.

कुदरत का आशीर्वाद लिए,

शरद में ही किसान नई फ़सल की बुवाई करते है।

 

78.

बारिश ने बरस के आज,

फिर से मिलन की आस जगाई है।

 

79.

चल पड़े है,

बादल मेरे शहर से

तेरे शहर आने के लिए।

उम्मीद करती हूँ कि सुहाने मौसम पर शायरी पढ़कर थोड़ी खुमारी तो छाई होगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

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