सावन आते ही मन में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है लेकिन बिन मौसम की बरसात का भी अलग ही मज़ा है, जब बारिश पर 2 लाइन की शायरी उसमे चार चाँद लगा देती है।
ऐसे ही खुश कर देने वाली बारिश पर सुविचार पढ़ने का आपको भी शौक है तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं।
इसलिए मैंने अपने इस संकलन में Feelings For Rain के साथ-साथ बारिश पर छोटी कविता भी लिखी हैं, जिन्हें आप कभी भी Share कर सकते हैं।
बारिश पर 2 लाइन की शायरी | Captions To Feel The SERENITY
आइए बारिश पर शायरी पढ़ना शुरू करते हैं –
1. आज फिर क्यों भीगा है मेरा मन, रिमझिम बारिश गिरी जबसे आंगन काश कि बदल जाता वह समय, फिर से आया होता बनके सावन। |
2.
वह प्यार कितना मधुर था, हर बात पर साथ जीते थे बारिश की बुंदों में अक्सर, हम अपना चेहरा तलाशते थे। |
3.
ज़िन्दगी भी कितनी परीक्षाएं लेती है, कभी मन भिगोती तो कभी हंसाती है। |
4.
तुम मेरे प्यार हो, मेरी ज़िन्दगी हो तुम कहा करते थे न, फिर क्यों मेरी आंखों में बर्षा रूपी नदी है? |
5.
मन आज भीगा है, नज़ारे ढूँढ़ रहा है तुम हो कहाँ दिलबर, बारिश का मौसम है। |
6.
बारिश और तुम, यूँ मिले थे हम एक दिन थामें हाथ चले थे, हम साथ। |
7.
बारिश की बूंदों में वैसे, छलकने लगे राज़ दर्द छलक आया जैसे, भीगी पलकों में आज। |
8.
वह दर्द का चुभन, दिल में हूक-सी उठती है ज़िन्दगी थे फिर भी, ये चोट तुमने क्यों दी है? |
9.
बारिश का मौसम, अहा कितना सुहाना भीग रहे हैं आज क्यों, मस्ती में अंकल खुराना। |
10.
खिड़की और बारिश, एक अरसा हो गया आंखों में आस पर मन, फिर उदास हो गया। |
11.
कल्पनाओं में तुम, आज भी वैसे ही हो बिन बारिश के भी हवा, बन छू जाते हो। |
12.
पकड़ कर हाथ, चूमकर माथा तुमने जताया था प्यार, बिन बारिश के भी मुझे भिगो गया तुम्हारा इज़हार। |
13.
तुम्हारी हँसी आज भी याद है, भूलकर भी भूल न सकी तुमने यह कैसा जादू किया है, वो पहली बारिश भूल न सकी। |
14.
मन करता है समय कभी न खत्म हो, तुम्हारे साथ यह समय कभी न खत्म हो पर बह रही ये आंसू बारिश की मानिंद, क्यों छलकने लगी तुम्हें फिर से याद कर। |
15.
ऐसी बेरुखी भी क्या थी, अपनी चाहत से नाता तोड़ा घायल मन पूछता रहा, अपने जीवन को यूँ क्यों छोड़ा। |
16. ऐसे तो तुम थे नहीं, वह दिल कहां खो गया कहाँ ढूंढू मैं तुम्हें, खुली आंखों से सो गया। |
17.
तुम कहा करते थे, आओ चले आसमां के तले बादलों के गांव में, उन्मुक्त होकर नाचते झूमकर इन बारिश में। |
18.
बगीचे के फूल भी, अब मुरझाने लगे हैं बेरुखी तुम्हारी इस कदर, चहूं ओर छाने लगी हैं। |
19.
मौसम की वह पहली बारिश, खिड़की से निहारती आंखें कहाँ से लाएं वो मिट्टी की सौंधी खुशबू, गगनचुंबी इन अट्टालिकाओं में। |
20.
याद आते हैं वो बचपन के दिन, बारिश की पहली फुहार के संग धमाल मचाते नाचते छम-छम, अब तो बस यादों में बसा है वो दिन। |
21.
कहां गए वह बचपन के दिन, जब धमा चौकड़ी करते थे बारिश में भीगकर दोस्तों के संग, कागज की नांव बहाते थे। |
22.
पत्तों में पड़ी धूल साफ हो जाती है, जब बारिश की बूंदे टकराती हैं मन की धूल साफ हो जाती है, जब मन का बोझ उतर जाता है। |
23.
कितनी सुहानी धरा हो गई है, बारिश से शीतल धरा हो गई है राहत मिली है कड़क धूप से, मिट्टी धरा की सुवासित हो गई है। |
24.
नज़ारे कितने सुहाने, चलो आंखों में बसाने सतरंगी इंद्रधनुष छाए, देखों दूर पहाड़ में। |
25.
काली घटा छाई है, देखों बारिश आई है नाच रहा है मोर खूब, मोरनी देख रही है। |
26.
फुदक-फुदक कर नाच रही है, प्यारी चिड़ियाँ रानी हाहाकार गरमी से राहत दे रही है, हमारी बर्षा रानी। |
27.
बरसे जब पानी की, बूंदे जैसे ही धरा पर खिल जाती प्रकृति, हरियाली बन चहूं ओर। |
28.
रिमझिम सावन बरसा, ऐ मेरे साथी आ गिले शिकवे छोड़ कर, वापस अब तो आजा। |
29.
तेरे बिन इस बारिश में, लगता नहीं मेरा मन आती है बहुत याद तुम्हारी, कहां हो मेरे सनम? |
30. कितने हसीन पल थे, हर बारिश में हम साथ थे आया कैसा तुफान यह, कि हम फिर बिखर गए थे। |
31.
हमने हर राहगीर से पुछा तुम्हारा पता, एकबार बता देते तुम थी मेरी क्या खता। |
32.
जाने कितने खुश थे उस पल को हम, कितनी कसम खाए साथ जीएंगे-मरेंगे हम। |
33.
पहली बारिश और खिड़की, टपकती बूंदा-बांदी बाहर नज़ारे खूबसूरत कितने, निहारते रहे हम दोनों भी। |
34.
बारिश और चाय, गर्मागरम पकौड़े तुम और मैं और, टपकती बूँदे। |
35.
गर्जा बादल मीत बन, बर्षा पानी जीत बन नहा रही है प्रकृति, हरित चादर ओढ़े तन। |
36.
ऐ हवा मेरे साजन तक, तुम मेरा संदेश पहुंचा देना इंतजार में खड़ी है सजनी, बाट जोह रही कहना। |
37.
किसान और बारिश का, अटूट संबंध होता है अधिक बारिश उनके सपनों को, बहा ले जाता है। |
38.
रिमझिम बारिश में अनाज बोते है खेतिहर, उनकी मेहनत फिर पहुंचती है गांव व शहर। |
39.
मस्ती में झूमकर गाते वे गीत, पीते चाय मिलकर साथ में मीत। |
40.
जब लेते हो चाय का स्वाद, याद करना वह खुरदरा हाथ चाय की पत्तियां तोड़ती औरतें, मजदूरी बेंच पालती हैं पेट। |
41.
खेतों में संघर्ष करते किसान, अनाज को उगाते बारिश पोषित करती धरती, हरियाली को ओढ़े। |
42.
हाथ बटाती किसान स्त्रियां भी, बारिश से नहीं घबराती गृहस्थ के संग-संग वह भी, अपना कर्तव्य को निभाती। |
43.
बारिश में प्रकृति ने रूप नया है लिया, खिल उठी है चहूं ओर देखों बसुन्थरा। |
44.
किसान अपने सपनों को संजोते, संघर्ष रूपी हथियार से बीज बोते बारिश और धूप की छांव में, वह उपहार रूपी अनाज को है उगाते। |
45.
बारिश की छीटों से बगीया खिलने लगी, माली की मेहनत भी अब रंग लाने लगी। |
46.
मत हो निराश, आई है बारिश खिलेगी धरती, महकेगी सुवास। |
47.
किसान का संघर्ष, बारिश और मेहनत के बीच रंग लेकर आती है धरती, उपजाते हमारे लिए अनाज। |
48.
खिल रही है बगिया, सावन जबसे है बरसा खिड़की से जब ताकते, मन हर्षित हो जाता। |
49.
बारिश ने किसान की, उम्मीद बनकर दस्तक दी हरा भरा खेत देखकर, उसकी उम्मीद जगी। |
50.
जब से बादल फटकर बरसने लगा, मेरा हृदय भी टूटकर बिखरने लगा। |
51. बारिश के दिनों में, संघर्ष करते किसान उगाते खेत में अनाज। |
52.
बिजली की गड़गड़ाहट से अब डर कैसा, बारिश से खेलने की आदत से भय कैसा। |
53.
रिमझिम बारिश में, जब उनकी याद आती मन उदास हो जाता फिर, खुद को सम्भालती। |
54.
बारिश में टपकती बूंदे, गरीब को बहुत रुलाते। |
55.
बारिश में अक्सर तुम, चाय की फर्माइश करते घंटों निहारते बूंदों को और, मैं निहारती तुम्हें। |
56.
यदि चाय के साथ, पकौड़े भी होते तुम्हारा चेहरा खिल उठता, बारिश की फुहारों में। |
57.
बारिश को देखकर तुम, मंद-मंद मुस्कुराते पुराने दिनों की गीतों में, खोकर तुम गुनगुनाते। |
58.
बारिश में तुम कुछ रोमांटिक हो जाते, छतरी के नीचे मुझे लेकर निकल जाते। |
59.
उड़ जाती जब छतरी हवाओं से, हाथों में हाथ लिए छपाक लगाते बचपन लौट आया है फिर जैसे, बारिश में भीगते और उधम मचाते। |
60.
मेरे बनाए चाय और पकौड़े की, तारिफ में तुम शायरी सुनाते मौसम की पहली बारिश के, मधुर पल ऐसे हमारी जी उठते। |
61.
बारिश की यादें अब तो बस एक याद भर है, हृदय का दर्द छुपाऊं कहां जो एक घाव है। |
62.
मन की धूप याद बनकर जैसे उभरी, हृदय मेरा बारिश बनकर बरसने लगी। |
63.
हवा ने चुपके से आकर कानों में कह दिया मुझे, बारिश रूपी आंसू अब न बहाओं किसी के लिए। |
64.
बारिश का मौसम कितने सुहाने, जैसे रुठे हुए को आते है मनाने। |
65.
वह तेरा नहीं था तो दर्द कैसा, कीमती आंसू व्यर्थ में मत बहा। |
66.
मां की डांट से बचने के लिए, पापा के पीछे छुप जाते थे बारिश में भीगकर सर्दी जुकाम से, त्रस्त होने पर मां ही जागा करती थी। |
67.
बचपन के कितने सुहाने दिन थे, काश फिर से वह दिन लौट आते फिर से जीते एकबार बचपन और, जी भर के उधम मचाते |
68.
बचपन में बारिश में भीगते, मां चिल्लाती बुखार से तपते लेकिन दवा भी मां ही देती, फिक्र वह ही करती थी |
69.
मत भिगो इतनी बारिश में तुम! |
70.
बचपन के दिन कहां गए जब छपाक लगाते थे बारिश में हम स्कूल के कपड़े जूते गंदे करके जब लौटते थे स्कूल से हम |
71.
मॉ कहती बारिश है बाहर मत जाना |
72.
हाय वह माँ की हाथों के पकौड़े |
73.
सावन की हरियाली छाई तीज त्योहार लेकर आई |
74.
सावन में झूला झूलते |
75.
कभी कभार मन का धूल साफ करने के लिए आंसू रूपी बारिश का बौछार भी होनी चाहिए |
76.
छटा प्रकृति की होती है अद्भुत जब बारिश की बूंदे पड़ते है धरा पर |
77.
प्रकृति खिलने लगती है जब बारिश से नहाती है |
78.
वक्त को समझो, जीवन क्षणिक है जैसे अरबी के पत्ते में बारिश की बूंदे। |
79.
टप टप टप.. बारिश की ये बूंदे छत को निहारते उड़ जाती नींदे |
80.
हरियाली चमन मस्त हो पवन |
81.
बारिश में एकबार भीग जाए, आओ फिर से प्यार को जीए। |
उम्मीद करती हूँ कि बारिश पर 2 लाइन की शायरी से आपको सुकून महसूस हुआ होगा। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।