नारी के सम्मान में दो शब्द कहने के लिए उनके कार्य और कर्तव्यों को पूरी तरह जानना ज़रूरी है। जिसका सबसे आसान तरीका है, उनसे Direct बात करना। 

नारी के सम्मान में शायरी लिखने के लिए आपको Positive Thinking और Broad Minded होना चाहिए, जिससे आप उनके मन की बात खूबसूरत शब्दों में ज़ाहिर कर सकें।  

मेरे इस अदभुत संकलन में Strong Women Quotes के साथ नारी के सम्मान में कविताएं भी शामिल हैं, जिन्हें आप किसी भी खास मौके पर Share कर सकते हैं।

नारी के सम्मान में दो शब्द | 99 Messages To Celebrate The FEMININITY

आइए नारी के लिए सुविचार पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

हर नारी का जीवन,

फूलों की सेज नहीं

रणभूमि भी होती है,

निडर होकर लड़ने के लिए।

 

2.

जीवन संघर्ष में हमेशा,

सूझबूझ से काम लेती नारी

संघर्ष के ढांचे में,

फिर ख़ुद ही ढल जाती नारी।

 

3.

प्रतिकूल परिस्थितियों में,

ख़ुद को ढालकर

जीवन संग्राम में निखरती नारी।

 

4.

विपत्तियों से न डरती नारी,

कायर, कमज़ोर, डरपोक

ये शब्द कदापि,

न पसंद करती कभी नारी।

 

5.

परिस्थितियों को बदलने की,

ताकत रखती नारी

मार्ग और समय को भी बदल कर,

निखरती नारी।

 

6.

कमर कस सदैव संघर्षों से,

जुझने को तैय्यार रहती हर नारी।

 

7.

अकेले ही चलती,

किसी ख़्वाब के टुकड़े के साथ

ख़ुद पर भरोसा और,

फ़तेह के यक़ीन के साथ

नारी।

 

8.

दर्द-ए-इश्क़ हो,

तब भी न रोक पाते आँसू,

न रोक पाते रास्ते,

अनवरत चलने को

एक स्त्री को।

 

9.

लोग भले कहें नारी को कमज़ोर,

पर न समझे ख़ुद को कमज़ोर

अकेली भिड़ जाए बड़े-बड़े,

इम्तिहानों और तूफ़ानों से।

 

10.

परिस्थितियों को बदलने की,

हमेशा ताकत रखती नारी।

 

11.

स्त्री को समर्पण,

पुरुष को अंहकार नाम से था नवाजा गया पर

न समर्पण न ही अहंकार के गुणों को,

ख़ुद से जोड़ती नारी।

 

12.

शिक्षा की समानता से नारी,

पुरुषों की बराबरी नहीं

अपने अच्छे जीवन जीने के लिए,

प्रेरित करती नारी।

 

13.

बुद्धि के भरोसे ही नारी ने,

अपनी अलग पहचान दुनियां को दिखा दी।

 

14.

स्त्री अपनी महत्वाकांक्षा से,

बहुत कुछ कर दिखाती है।

 

15.

स्त्री हमेशा महत्वाकांक्षा की दौड़ में थी,

उसे बस रोका गया था।

 

16.

अपने जीवन को कर्म से गड़नें में,

विश्वास रखती नारी।

 

17.

नारी की रोज़मर्रा की गतिविधियों को,

जितना मिलना चाहिए सम्मान

समाज देता क्यों नहीं।

 

18.

स्त्री सदैव गतिशीलता में,

विश्वास रखते हुए चलतीं जाती।

 

19.

स्त्री के भीतर,

एक और आक्रामक रूप रहता

जो अपने हक़ के लिए,

आक्रमकता जगाए रखता।

 

20.

स्त्री आक्रामक तभी होती,

जब मुश्किलों में उसे कमज़ोर

समझा जा रहा होता।

 

21.

पुरुषों के संग झूठी समानता में,

विश्वास नहीं करती।

 

22.

स्त्री हमेशा अपने अंदर एक,

जिज्ञासा लिए जीती आई।

 

23.

नारी जब पंख फैला कर,

उड़ान भरती तो

अपने लिए खुशियां,

खोज ही लेती।

 

24.

मुश्किलों से भी निकाल रास्ता,

मैदान-ए-जंग में डटी रहती

वो कहलाती नारी।

 

25.

बोलना और प्रतिक्रिया करना,

आज की नारी का सफलता मंत्र।

 

26.

जिसको जो कहना,

कहने दो

सोच पर चलती जो,

वो कहलाती आज की नारी।

 

27.

दृढ़ निश्चय, परिपक्वता से कर्म करने में

विश्वास रखती आज की नारी।

 

28.

अभिमान को त्याग,

स्वाभिमान से जीने में

यकीन करती,

आज की नारी।

 

29.

ग़र ना हो मन का तो जो बीत गया,

एक बुरा सपना समझ

अनुभवों की गठरी से,

आगे बढ़ने में भलाई समझती

वो आज की नारी।

 

30.

गहरे अँधेरे पर भी,

भरोसा ख़ुद रख

उजाला लाने का माद्दा रखती,

वो नारी।

 

31.

सालों साल चली आ रही,

अप्रिय बातों को बदलने की

कोशिशों में सदा जुटी रहती नारी।

 

32.

कभी-कभी मनःस्थिति,

विपरीत हो तब भी

आँसू को बहने की छूट न देकर,

ख़ुद पर विश्वास कर

आगे बढ़ती नारी।

 

33.

आत्मसमीक्षा कर,

रचनात्मकता की ओर बढ़कर

आत्मसम्मान पाना चाहती,

वो ही नारी।

 

34.

अहंकार से वशीभूत होकर,

कभी कोई काम न करती

वो है नारी।

 

35.

अपने सपनों को आकार देने में,

कभी कोई कसर

न छोड़ना चाहती नारी।

 

36.

आंखें नम हो तब भी,

आँखों में ख़्वाबों की

कोई कमी न रहती जिसकी,

वो ही होती नारी।

 

37.

अपने क़दम बढ़ाकर,

राहें बदल कर भी

सफ़लता हांसिल करना जानती है,

वो नारी।

 

38.

अपने हौसलों के बल पर,

क्षितिज तक उड़ान भर

ख़ुद को साबित कर चुकी,

आज की स्त्री।

 

39.

जब-जब खुली हवा मिली,

ख़ुद को हमेशा साबित

प्रस्थापित कर चुकी,

आज की नारी।

 

40.

हौसलों और आत्मविश्वास से,

सदा ही अपनी पहचान बनाने में

कामयाब होती आई नारी।

 

41.

रंजिशों से मुक्ति और,

बंदिशों को तोड़कर जीने में

यक़ीन करना जानती,

जो वो नारी।

 

42.

शक्ति और संघर्षों का,

दूसरा नाम भी नारी।

 

43.

अपना अलग अस्तित्व और,

समाज में दमखम से

जीने में यक़ीन रखती,

आज की नारी।

 

44.

समाज के रिवाजों और,

पुरुषों के अहं जैसी

बंदिशों को ललकारने का माद्दा रखती,

आज की नारी।

 

45.

दिल, दिमाग, तमन्ना ने

जब-जब पुकारा

तब-तब एक स्त्री को मिला,

मनपसंद ख़्वाब का किनारा।

 

46.

निज उन्नती की,

चाह न रखने की बंदिशों को

स्त्री ने हमेशा से ही,

तोड़ना चाहा।

 

47.

अपने कर्तव्यों का,

पालन करने के बाद भी

एक स्त्री सदैव ही,

निखर कर सामने आती।

 

48.

मीठी वाणी और,

कर्मों में विश्वास से ही

सफल होती एक स्त्री।

 

49.

जीवन में न कभी मानें हार, 

न ही किसी से कोई

बेवजह रार में विश्वास रखती,

एक नार।

 

50.

कंधों पर रखकर घर और,

बाहर की ज़िम्मेदारी

फिर भी संतुलन बना कर,

सही से निभाती ज़िम्मेदारी

आज की नारी।

 

51.

स्वप्निल आँखों में ख़ुद के लिए,

आसमाँ तलाशती स्वाभिमानी नारी।

 

52.

युगों-युगों से दबे कपाट खोल,

विवेक, ज्ञान और प्रज्ञा से

ख़ुद को साबित किया,

आज की नारी ने।

 

53.

निष्ठुर संसार ने कभी भी,

भावनाएं कहाँ समझी नारी के मन की।

 

54.

अधूरे ख़्वाबों को पूरा करने का,

किसी भी उम्र में

दमखम रखती एक नारी।

 

55.

न झुककर न रुककर,

अनवरत चलने की

तमन्ना से चलती,

एक नारी।

 

56.

सदा आसमान छूने की,

तमन्ना मन में लिए जीती

एक नारी।

 

57.

किसी के साथ और,

हौसलों के बिना भी

मंज़िल पाने की,

कोशिशों में लगी रहती

एक नारी।

 

58.

ख़ुद की ख़ुद भी,

दिशा दर्शक बन

बहुत कुछ करके दिखाती,

एक नारी।

 

59.

 हो ग़र आत्मविश्वास तो,

सबकुछ हो हासिल

यह एक शिक्षा सदैव,

गाँठ बाँध कर रखती

एक नारी।

 

60.

महिला चाहे तो,

कुछ भी कर सकती है

बस उसे आत्मविश्वास नहीं,

छोड़ना चाहिए।

 

61.

जो काम कर रही है,

सही कर रही है

ये आत्मविश्वास नारी को,

मंज़िल तक ज़रूर पहुंचाता।

 

62.

अगर मन में कोई सपना हो,

जो पहले दिन से देखा हो तो

वो सच करने में जुट जाती नारी।

 

63.

अवसर दरवाज़े पर हो तो,

अवसर का फायदा उठाकर

बहुत कुछ कर दिखाती है,

एक महिला।

 

64.

संकट के समय हमेशा परिवार की,

ताकत बन उभरती है नारी।

 

65.

संघर्ष में सहारा बन परिवार का,

अपनी शक्ति दिखाती है एक नारी।

 

66.

 किसी अभाव को भी,

अभाव न मान

संघर्ष करती रहती,

एक नारी।

 

67.

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर भी

रही सब पर भारी नारी।

 

68.

अपनी सफ़लता से,

बहुत से लोगों को प्रभावित कर

ज़िंदगी पर असर डालती रही नारी।

 

69.

असफलता में भी,

अच्छा इंसान बन

सफ़लता के लिए संघर्ष करती रहती,

एक नारी।

 

70.

उम्मींद की मशाल लेके चलने में,

विश्वास रखती है नारी।

 

71.

अपने मन का रास्ता तय करने के लिए,

संघर्षों से न डरती नारी।

 

72.

कतरा-कतरा ख़ुद को समेट कर भी,

आगे बढ़ने की चाह रखती एक नारी।

 

73.

पथरीली बेज़ान बंजर ज़मी पर भी,

फूल खिलाना जानती एक नारी।

 

74.

ज़माने ने बार-बार दिल तोड़ा हो,

तब भी ख़ुद ही दिल जोड़

आगे बढ़ना जानती एक नारी।

 

75.

सारे बंधन बेड़ियों को खोलने का भी,

माद्दा रखती एक नारी।

 

76.

छुपाए अरमानों को ख़ुद ही,

पूरा करना जानती एक नारी।

 

77.

ख्वाबों की दुनियां से निकल,

ख़ुद ही अपने ख़्वाब

पूरे करना जानती,

एक नारी।

 

78.

ग़म से परेशान न होकर ही,

शिद्दत से ग़मों से टकराना भी

जानती एक नारी।

 

79.

बेवजह अगर कोई झुकाये,

ये पसंद नहीं करती नारी।

 

80.

हर बार ख़ुद को समेट,

आगे बढ़ना जानती एक नारी।

 

81.

बड़ी उम्मीदों से,

सफ़लता की तकती राहों को

मंज़िल तक ले जाती नारी।

 

82.

इम्तिहानों से कभी न,

डरती एक नारी।

 

83.

जिन राहों में उम्मीद थी कभी,

उन राहों पर नम आँखों से चलकर

चलतीं चली जा मंज़िल तक,

पहुंचती एक नारी।

 

84.

हौसलों, उम्मीदों की पक्की,

ऊँची उड़ानों की धुन में भी

घर परिवार को न पीछे रखती,

नारी।

 

85.

अपनी गलतियों से सीख कर,

दिल चाहे जहां उड़ान भरना चाहे

एक नारी।

 

86.

परिन्दों की तरह,

आसमाँ को छूने की कोशिशों में

अनवरत प्रयास में विश्वास रखती,

एक नारी।

 

87.

ना-उम्मीदी से घायल,

फिर भी उम्मीदों पर

जिंदा रहती एक नारी।

 

88.

चुपचाप ख़ामोश संघर्षों से,

चलती सदा एक नारी।

 

89.

ग़र भूल गई हो उड़ान,

तब भी बंदिशों में भी

उड़ान भरती,

एक नारी।

 

90.

ख़्वाहिशों के पंख लगाकर,

आसमान में ढूँढती

अपने लिए एक छोटा-सा जहान,

सदैव नारी।

 

91.

ख़ुद ही रास्ता बनाकर,

उन पर बिन रुके चलना चाहती

हमेशा नारी।

 

92.

भले असफल हो जाओ,

मगर जंग जारी रखती

सफ़लता और अपने अस्तित्व की,

  सदा एक नारी।

 

93.

निर्झर बहते नैनो को भी,

मात देती है

एक नारी।

 

94.

वेदना का असहनीय दर्द,

सहकर भी पीछे न हटाती

अपने संघर्षो से

एक नारी।

 

95.

बिना किसी सहारे के,

इन्द्रधनुष के सारे रंग

जीवन मे ला सकती,

एक नारी।

 

96.

दुनियादारी की न फ़िकर,

न दिखावा

न उलाहना की परवाह करती,

एक नारी।

 

97.

बेदर्द ज़माने ने ग़र,

छीने हो खुबसूरत ख़्वाब

तब भी फिर नए ख्वाबों को सजाती,

एक नारी।

 

98.

कोई जो जगा दे,

कुछ करने का आत्मविश्वास तो

फिर से जी जाती,

एक नारी।

 

99.

औरत का सम्मान करना,

बहुत आसान है

बस अपने बराबर उसे,

इंसान मान लीजिए।

उम्मीद करती हूँ कि नारी के सम्मान में दो शब्द पढ़कर आपके नज़रिए को नई दिशा मिलेगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई। 

Jayshri M