सोने से पहले अगर शुभ रात्रि सुविचार पढ़ लिए जाए तो मीठी नींद आती है, जिससे सुबह उठकर भी खुशनुमा महसूस होता है।
अगर आप भी सोने से पहले शुभ रात्रि पर कविताएं पढ़ना पसंद करते हैं तो बिल्कुल सही जगह आये हैं।
मेरे इस उम्दा संकलन में आपको मिलेंगी सुकून देने वाली शुभ रात्रि शायरी, जिन्हें आप किसी के भी साथ Share कर सकते हैं।
शुभ रात्रि सुविचार | Thoughts To Sleep WELL
आइए शुभ रात्रि स्टेटस पढ़ना शुरू करते हैं –
1. तुम आओगे तो ले आना, बाज़ार से पायल तुम्हारे जाने से सारा सिंगारदान, चुप हो गया है। |
2.
तुम मिलोगे मुझे तो जानोगे, मौसम का हाल यूं सफेद पड़ी बर्फ की चादर, ख़ामोश क्यों होती हैं। |
3.
यूं न जाओ छोड़ के, बाहर मौसम सर्द है पास बैठो आकर कि आज, दिल में थोड़ा दर्द है |
4.
बिस्तर की सलवटें, अब भी बरकरार है उसी तरह से तेरे जाने से न नींद आई, न फिर कभी सुकून मिला। |
5.
चांद और चकोर-सी, हो गई है ज़िंदगी हमारी दोनों दूर से देखने में तो पास हैं लेकिन, पास से देखने में कितने दूर हैं। |
6.
देखो न आज पूनम का चांद, रात में भी निकल आया है तुम बोले थे जब फलक पर चांद, पूरा होगा तुम मेरे होगे। |
7.
आज हवाओं ने छू लिया, मेरे हाथों को उफ्फ़ मुझे कोई, तुझे भूलने क्यों नहीं देता? |
8.
धीरे-धीरे गुज़र जाएंगी, ये हिज़्र की रातें कुछ बीतेंगी यादों के सहारे, कुछ तेरे संग करके बातें। |
9.
चांद रातों का भी, अपना अलग हिसाब है याद वो ही आते हैं, जो न पास हैं न साथ हैं। |
10.
आँखों-आँखों में, बीत गई रात सारी न तुम आये, न कोई ख़बर आई तुम्हारी। |
11.
न ख़त मिला न पैग़ाम, न आई कोई ख़बर बीत गई ये रात भी, सूना रह गया सारा सिंगार। |
12.
तुमको मेरे दर्द का, अंदाज़ा होता तो ये भी जानते कितनी करवटें बदली हैं, मैंने तेरी याद में। |
13.
सब सूना-सा है, तेरे बग़ैर ये सारा संसार ये फूलों की सेज, ये चांद रात और सोलह श्रृंगार। |
14.
तुम्हें याद करके गुस्ताख़ी की थी, काजल लगाने की तुम्हें याद करके इनका बह जाना ही, इनका अंजाम था। |
15.
आज रात फिर से भूख गई, मुझे देर रात को तेरी Maggie बनाने की ज़िद्द आ गई। |
16. अब तो पूनम की रात भी अमावस की लगती है, तेरे याद आने पर हर सुबह भी दोपहर सी लगती है। |
17.
एक मुद्दत हुई तुझसे मिले हुए, अब शिक़वे ही बचे हैं तुझसे करने के लिए। |
18.
ये रातें, ये ज़िंदगी के ख़्वाब हैं तुम बिन अधूरे, आओ लग कर गले कर दो इन सबको पूरे। |
19.
बीत गई सारी रात, चांद भी अलसा गया है तुम भी चले आओ न अब, भोर होने का वक़्त आ गया है। |
20.
तकती हैं अँखिया, दहलीज़ पर हर आहट पर जाने कौन-सी हवा, पिया का पैगाम ले आये। |
21.
हो गई रात घनी, बुझ भी गए सारे दिये और बाती जो न आना था तुम्हें तो, भेज देते कोई ख़त कोई पाती। |
22.
एक तेरे दीदार को तरसे हैं मेरी अँखिया, अब तो तेरा नाम लेकर हंसती हैं मेरी सखियां। |
23.
राधा की तड़प कैसे जाने दूर बैठा कन्हाई, उसके संग तो गोपियाँ हैं, राधा सखी बनी है तन्हाई। |
24.
ये उलझन ज़िंदगी की, मुझसे दूर जाती क्यों नहीं पता है कि तुम मिलोगे नहीं तो, तेरी याद दिल से जाती क्यों नहीं। |
25.
तुम पास आओ तो इसका ज़वाब भी मिले, क्यों इश्क़ को पा लेना दिल को सुकून देता है। |
26.
रात तक Video Call से दुखती हैं मेरी आँखें, तुम करीब आओ मेरे, ये Technology मुझे भाती नहीं। |
27.
ऐसा न हो कि रात-रात भर जाग कर हो Dark Circles, तुम आंखों के इलाज़ पर ही तमाम उम्र कुर्बान कर दो। |
28.
ये कैसी उलझन है, ये कैसा दोहरापन है हम सामने हैं आपके और, आप कहीं और गुम हैं। |
29.
तुम मिलोगे तो पूछूँगी, क्या मिला किताबें पढ़कर तुम्हें अब भी नहीं पता मुझे, किस रंग की चूड़ियां पसन्द है? |
30. कह गया वो चूड़ियों की खनक में संगीत है, इस बात पर उसने कभी कलाइयां सूनी न रखी। |
31.
इश्क़ दिखता है आंखों में, ये कहना था उसका उस रोज़ से आंखें, किसी की तरफ उठती न दिखी। |
32.
रात मिलन की हो तो कट ही जाती है, रेगिस्तान-सी तपती धूप में साथ निभाओ अगर तो बोलो। |
33.
हम मुहब्बत कर के जागे हैं रात भर, तुम्हें तो इश्क़ से मतलब न था फिर आँखे क्यों लाल हैं। |
34.
हमारी रातों के हाल न पूछिये कि ये कैसे कटती हैं। |
35.
द्विज के चांद सा है प्रेम मेरा हर रात ही बढ़ेगा |
36.
नींद से आँखें बंद हो रही हैं मेरी, |
37.
यूं तो तुमसे बिछड़े बस एक पल ही हुआ है। |
38.
होती होंगी 6 ऋतुएं, और 10 दिशाएं ब्राह्मंड में |
39.
सुना था इश्क़ दूरियों से बढ़ता है। |
40.
सुना है तुम्हारे शहर में बारिश हो रही है |
41.
ये सूरज का ढलना मुझे बिल्कुल न भाता है |
42.
अब ये हाल भी अपना करके देखना पड़ेगा। |
43.
तुम साथ थे तो अमावस में भी रोशनी बिखरी रहती थी। |
44.
तुम से मिलकर भी ये दिल के अरमान थमते क्यों नहीं |
45.
पाकर तुम्हारी सोहबत अब और निखर गई हूं मैं |
46.
पास छोड़कर गए थे जो कमीज बटन टांकने को। |
47.
थक चुके हैं झूठी हँसी,लबों पे सजाए हुए, |
48.
अकेले इस सफर में अब तो मंज़िल भी दिखाई न देती |
49.
वो जो कहते हैं इश्क़ में दुनिया बर्बाद हो जाती है |
50.
इश्क़ करके पूछ रहे हैं दर्द का इलाज़ हक़ीम से। |
51. कुछ बातों का यकीन देख कर नहीं छू कर होता है। मैं भी तुम्हे छू कर महसूस करना चाहती हूँ। |
52.
दूर रहकर इश्क़ की बातें करोगे तो कैसे यकीन होगा |
53.
ज़िंदगी खुशनुमा बीत जाती अगर यादों के सहारे। |
54.
रब से क्या शिकायत करूँ तेरी बेरुखी पर |
55.
यकीनन याद हम तुझे भी बहुत आएंगे |
56.
गले लगो तो महसूस करें तेरी बाहों के घेरे |
57.
कब तक हम तस्वीरें देखकर रात गुजारें |
58.
वो तारीख़ वो महीना बता दो मुझे |
59.
न तेरा पयाम आया न मिला कोई इक इशारा तेरा, |
60.
पतझड़ आया, पत्ते बिखरे सूख गया रिश्ते का दरख़्त |
61.
कभी तो आओ तो पूरा वक़्त लेकर आओ। |
62.
क्यूं रूठ गए हम ये वजह तो तुम्हें भी पता होगी। |
63.
तुम न मिले तो भी कैसे भूल जाये तुमको। |
64.
शुक्रिया अदा करते हैं रब का कि तुम मिले मुझे |
65.
जरूरत न पड़ी किसी को दिल का हाल बताने की |
66.
सरहद पर खड़ा,प्रीत मेरा कर रहा निगरानी, |
67.
आई है फिर चौथ की रात, |
68.
तुम्हे व्यक्त करने को शब्द नहीं मिलते। |
69.
जब तुम नहीं होते तो तुम्हारी याद साथ होती है। |
70.
100 कदमों के फासलों जितनी दूरी है गर हम में |
71.
प्यार करने वालों को नदी के दो किनारे कहते हैं सब, |
72.
मेरे कमरे के कैलेंडर गवाही दे रहे हैं । |
73.
आओ साथ बैठ कर चांद देखें |
74.
तुम याद आते हो तो अक्सर ऐसा भी होता है। |
75.
हँस लेती हूँ अब उस बात पे भी जिस पर रोना आये, |
76.
दर्पण में देखती हूँ तो आता है ये ख़्याल भी। |
77.
तुम्हें सोचते सोचते ये रात भी गुजर जाएगी, |
78.
हाज़िर है दिल ले कर फिर एक नज़राना |
79.
जिन्हें नज़रें पढ़ने का हुनर आता हो ना, |
80.
गंगा किनारे बैठ कर देख रहा हूँ ढलते सूरज की लालिमा |
81.
सूख कर आंसू बन चुके हैं पत्थर तुम अपनी छुअन से इन्हें फिर नीर बना देना। |
82.
आना पास मेरे तब जब दूर सांझ ढले जैसे श्याम से मिलने राधे आई हो जमुना तीरे। |
83.
सावन बीता भादो बिता अब खिल भी गए कास के फूल। |
84.
आंखें नम हैं, नज़रें चौखट पर टिकी हैं, ये जाने कौन सा इंतज़ार है जो कभी ख़त्म ही न होता। |
85.
मेरे होते हुए भी किसी और की जरूरत है। तो फिर मेरी जरूरत ही क्या है? |
86.
ये याद रहना भी बहुत जरूरी है मुझे |
87.
एक हम ही मिलते हैं तुम्हें हर पल रुलाने के लिये बात तो केवल खुश रखने की हुआ करती थी।। |
88.
तुम्हारे खुश रहने की दुआ मांगी थी हर सिजदे में, अब आँसुओं से हर किस्तें चुका रही हूँ। |
89.
बिछड़ते वक़्त जो लगा था शर्ट की बाईं तरफ लिपस्टिक का निशाँ मुद्दते गुजरीं लेकिन उस को कभी धुली नहीं मैंने। |
90.
ये नादानी फिर न होगी |
91.
रात फिर सुहानी है, |
92.
कुछ गिरहें खोल जाओ मन की इन उलझनों से अब ऊब गई हूँ। |
93.
एक इंतज़ार के सिवा कुछ न दिया तुमने, |
94.
नज़रें टिकी के तेरे आने की उम्मीद में, ख़बर ये भी मिली है कि अब तुम मेरे नहीं हो। |
95.
कुछ यादें समेट रखी है आंखों में, अबकी जो बन्द हुई तो फिर न खुलेंगी कभी। |
96.
अलविदा कहने तक का सब्र नहीं मुझमें, तुम मुझसे अभी आकर मिलो तो बात बने। |
97.
तुम आओ करीब मेरे,दूर करो ये शिकवे गिले। कि रात गहरी हो चुकी है,सोना है लग के गले। |
98.
सही ही कहा था तब उस हक़ीम ने। सोती हो जिसकी बांहों में फिर उसके बग़ैर नींद न आएगी। |
99.
मेरी हालत पर तरस खाने लगे हैं अब वो फूल भी, जिन्हें ईश्वर पर न अर्पण करके फेंक दिया जाता है। |
उम्मीद करती हूँ कि शुभ रात्रि सुविचार से आपको अनमोल सपनों को देखने की हिम्मत मिलेगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।